आज हम बात करेंगे रंग रंगीला कहे जाने वाले राजस्थान के इतिहास की। राजस्थान को पहले राजपूताना के नाम से जाना जाता था। कुल 19 रियासतों को मिलाकर यह राज्य बना तथा इसका नाम “राजस्थान” किया गया जिसका शाब्दिक अर्थ है “राजाओं का स्थान” क्योंकि स्वतंत्रता से पूर्व यहां कई राजा-महाराजाओं ने राज किया। राजस्थान की रियासतों को 15 अगस्त 1947 को भारत संघ में मिला दिया गया था, लेकिन उनका एकीकरण एक साल बाद ही हो पाया था। राजस्थान संघ के गठन के तीन दिन बाद ही उदयपुर के महाराणा ने राजस्थान संघ में शामिल होने का फैसला किया।
9 राज्यों के एकीकरण के बाद पं. जवाहरलाल नेहरू ने 18 अप्रैल, 1948 को संघ का उद्घाटन किया लेकिन इस एकीकरण मे सरदार वल्लभ भाई पटेल की सक्रिय भूमिका रही। राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में हुआ। इसकी शुरुआत 18 अप्रैल 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली रियासतों के विलय से हुई।विभिन्न चरणों में रियासतें जुड़ती गईं तथा अंत में 30 मार्च 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों के विलय से “वृहत्तर राजस्थान संघ” बना और तब से इस दिन को राजस्थान स्थापना दिवस कहा जाता है।