आज हम भारत की पहली महिला राज्यपाल और भारत कोकिला नाम से मशहुर सरोजिनी नायडू की कहानी जानेगें।
सरोजिनी नायडू एक बेहतरीन कवियत्री,गायक और फ्रीडम फाईटर थी।इन्होने मात्र 13 साल की उम्र में 1300 लाइन्स की कविता लिख दी थी।
आइए शुरु करते हैं
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी को 1879 को हैदराबाद में हुआ था,इनका नाम सरोजिनी चट्टोपाध्याय था।
सरोजिनी 8 भाई बहन थी।
इनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था और माता वरद सुंदरी देवी थी।

पिता एक वैज्ञानिक और डॉक्टर थे लेकिन आगे चलकर वे अपनी नौकरी छोड़कर अंग्रजों के खिलाफ आजादी के लडा़ई में कूद जाते हैं। इनकी माता वरद सुंदरी देवी बंगाली भाषा में कविताएँ लिखती थी, इन्ही को देखकर सरोजिनी का झुकाव साहित्य की ओर हुआ।
सरोजिनी बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थी। इन्हे फारसी, उर्दू,तेलगू, बांगली, इंग्लिश जैसै कई भाषाओं का नॉलेज था। इन्होने 13 साल की उम्र में ‘मेहर मुनीर’ नाम का फारसी नाटक लिखा जो उस समय काफी पसंद किया गया, लेकिन पिता इन्हे वैज्ञानिक बनाना चाहते थे लेकिन उनकी टैलैंट को देखकर प्रसन्न हुए।
सरोजिनी नायडू के प्रतिभा को देखकर हैदराबाद के निजाम हैरान हो गए और सरोजिनी को छात्रवृति दी, वे मात्र 16 साल की उम्र में पढ़ाई करने इंग्लैंड चली गई।
जहाँ उन्होने कैम्ब्रिज में ग्रीतान कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की।
साल 1905 में बंगाल विभाजन के बाद उन्होने भी अंग्रजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में कूदने की ठानी।
वे कांग्रसे में शामिल हो गई। आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उस समय भारत की महिलाओं की स्तिथि भी ठीक नहीं थी, सरोजिनी नायडू ने छोटे गाँव से शहर के महिलोओं को जागरुक करने का काम किया।
इन्हे 1916 में महात्मा गांधी से मिलने का मौका मिला, सरोजिनी नायडू उनसे काफी प्रभावित हुई, इसके बाद वे और अच्छे ढंग से काम करने लगी।
इनके योग्यता को देखते हुए इन्हे 1925 में भारतीय राष्टीय कांग्रेस का प्रथम महिला अध्यक्ष बनाया गया।
कांग्रसे ने इन्हे अपना अध्यक्ष बनाकर दक्षिण अफ्रीका भी भेजा।
1928 में इन्हे केसरी हिंद पदक से सम्मानित किया गया।
मैनै आपको पहले ही बताया है कि ये काफी प्रतिभाशाली थी, ये जहाँ भी जाती वहाँ के लोकल लैंग्वेज में स्पीच देती। इनकी स्पीच सुनकर लोग हैरान हो जाते थे।
कांग्रेस से जुड़ने के बाद इन्हे रवीन्द्र नाथ टैगोर, जवाहर लाल नेहरू, ऐनी बेसेंट के साथ काम करने का मौका मिला।

आपको बता दें कि सरोजिनी नायडू को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के साथ 21 महीने जेल में रहना पड़ा था।
आजादी के बाद इन्हे उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया, और ये देश की पहली महिला राज्यपाल बनी। इन्हे इस पद पर रहने में खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू के निवेदन पर इस पद को स्वीकार किया और अच्छे ढंग से काम कर्तव्य निभाई।
इनके वैवाहिक जीवन की बात करे तो इन्होने 19 साल की उम्र में डॉ. गोविंद राजुल नाडयू से शादी कर ली, डॉ. गोविंद से इनकी मुलाकात कॉलेज के दौरान हुई थी और दोनों में प्याल हो गया और दोनों ने इंटरकास्ट शादी कर ली।
उस समय लव मैरिज वो भी इंटरकास्ट समाज के लिए अनएक्सेटेबल थी, लेकिन सरोजिनी नायडू के पिता ने कुछ समय बाद इस रिश्ते को मान लिया।
इन्हे भारत कोकिला क्यों कहा जाता है?
जैसा कि आप सब जानते हैं सरोजिनी नायडू बचपन से ही कविताएँ लिखती थी, शादी के साथ भी वो कविताएँ लिखनी जारी रखी। वे विशेष रूप से कविता लिखती थी, इनकी कविताओं को सुनकर लोगों का मन भी जाने को करता था, सरोजिनी नायडू बहुत ही मधुर गाती थी इसलिए इन्हे भारत कोकिला कहा जाने लगा।
2 मार्च 1949 को हार्ट अटैक की वजह से भारत कोकिला इस दुनिया से अलविदा हो गई।