उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में रहने वाले लोगों को नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) ने राहत दी है।
एनपीसीएल ने सभी उपभोक्ताओं के लिए बिजली यूनिट दरों में कटौती की है। इससे लोगों के बिजली बिल के खर्चे में कमी आएगी।
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने ग्रेटर नोएडा में रहने वालों को बड़ी राहत दी है।
नियामक आयोग ने नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) के समस्त उपभोक्ताओं के लिए बिजली यूनिट दरों में 10 प्रतिशत की कटौती का ऐलान किया है।
इससे ग्रेटर नोए़डा के एक लाख से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली के मौजूदा खर्चे से राहत मिलेगी।
चर्चा के बाद लिया गया फैसला
जानकारी के मुताबिक, एनपीसीएल ने पिछले साल उपभोक्ताओं से बिजली आपूर्ति की औसत लागत से कहीं ज्यादा कमाई की थी।
इसे लेकर पिछले दिनों उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने एक बैठक की थी।
इस बैठक में एनपीसीएल की चालू वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दर के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी।
इसके साथ ही सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कंपनी द्वारा लागत से प्रति यूनिट 2.05 रुपये तक ज्यादा कमाने का मुद्दा उठाते हुए बिजली दर कम के साथ ही इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग आयोग से की थी।
बिजली निगम ने भले ही घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम बिजली चार्ज की दर को 50 पैसा कम कर दिया हो, लेकिन बहुमंजिला सोसायटियों के निवासियों को अभी भी इसका इंतजार है।
पहले ही मनमानी बिजली दरों से परेशानी निवासियों ने भी इसके आधार पर अपने लिए बिजली दर में छूट देने की मांग की है।
नोएडा व ग्रेनो में करीब चार सौ से ज्यादा बुहमंजिला सोसायटियां हैं।
इनमें करीब पांच लाख से ज्यादा की आबादी रह रही है। नेफोवा की महासचिव श्वेता भारती का कहना है कि किसी भी प्रकार की शुल्क की दरें बढ़ती हैं तो बिल्डर तुरंत निवासियों पर थोप देते हैं।
अब जब विद्युत निगम ने घरेलू उपभोक्ताओं को छूट दी है तो इसका लाभ भी निवासियों को मिलना चाहिए।
विद्युत निगम और दूसरी जिम्मेदार संस्थाओं को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।
जिससे सोसायटियों में रहने वाले लाखों लोगों को भी राहत मिल सके।
नोफा के अध्यक्ष राजीव सिंह ने बताया कि बहुमंजिला सोसायटियों में अभी उपभोक्ता अंतिम और महत्वपूर्ण उपभोक्ता है, लेकिन वह निगम को सीधे बिल भुगतान नहीं करता है।
सोसायटियों में बिल्डर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा तय टैरिफ से इतर मनमाने ढंग से बिजली बिल वसूलते हैं।
नोएडा पावर कंपनी का अगले वर्ष 30 अगस्त को खत्म हो रहा लाइसेंस
नोएडा पावर कंपनी का लाइसेंस अगले वर्ष 30 अगस्त को खत्म हो रहा है।
इसी के मद्देनजर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ग्रेटर नोएडा की बिजली आपूर्ति कंपनी से वापस लेकर पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम को सौंपने की मांग रखी है।
इस संबंध में परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि 30 वर्ष पुराने लाइसेंस की शर्तों के तहत प्रदेश सरकार और पावर कारपोरेशन को लाइसेंस खत्म होने की तिथि से एक वर्ष पहले कंपनी को नोटिस देना होगा।
ऐसे में अगले 39 दिनों में कंपनी को कानूनन नोटिस देना होगा।

ऐसे कम होगा बिजली का बिल
आजकल की दुनिया में बिजली खर्च का मैनेजमेंट करने के लिए ‘डिमांड रिस्पांस’ का इस्तेमाल किया जाता है।
ये एनर्जी मैनेजमेंट का एक अहम और आधुनिक कंपोनेंट है।
ये बिजली कंज्यूमर्स को पीक डिमांड आवर्स के दौरान जहां एक्टिव तरीके से बिजली खपत मैनेज करने की सुविधा देता है।
वहीं दूसरी तरफ कस्टमर्स को उनकी पीक आवर्स बिजली डिमांड को ऑफ पीक आवर्स में शिफ्ट करने में मदद करता है।
इससे बिजली के ग्रिड को संतुलित रखने में मदद मिलती है और संभावित ब्लैकआउट के खतरे से बचाव होता है।
‘डिमांड रिस्पांस’ के हिसाब से कुछ योग्य कंज्यूमर्स को बाद में उनका बिजली बिल कम करने की भी सुविधा मिलती है।
इसका चयन इस बात से होता है कि डिमांड रिस्पांस प्रोग्राम के दौरान उन्होंने कितनी सक्रियता से इसमें भाग लिया।