मध्यप्रदेश की हवा दिन पर दिन दमघोंटू होती जा रही है। वो समय अब ज़्यादा दूर नहीं लगता जब भोपाल की हवा दिल्ली की जहरीली हवा जैसी ही हो जायगी। हालांकि, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा यहां की हवा को शुद्ध करने के लिए ढेरों प्रयास और कई करोड़ो रूपए भी खर्च किए जा रहे हैं। पर जो स्थिति अभी वर्तमान में चल रही है, उसे देखकर यह कहा नहीं जा सकता कि इसके सुधार को लेकर सरकार चिंतित है। बता दें इसी सोमवार को भोपाल में एक्यूआई 199 था, जो कि एक गंभीर विषय है।
पिछले दो सालों में मध्यप्रदेश की हवा सुधारने के नाम पर नगर निगम ने 111 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, फिर भी शहरभर की सड़कों पर धूल उड़ रही है। इस महीने की शुरुआत में भोपाल का एक्यूआई 258 तक पहुंच गया। 15वें वित्त आयोग ने शहरों को आबोहवा सुधारने के लिए उनके प्लान और जरूरत के अनुसार अनुदान स्वीकृत किया था। और क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत भोपाल नगर निगम को दो साल में 88 करोड़ रुपए भी दिए गए थे। लेकिन इस 88 करोड़ में से लगभग 36 करोड़ आदमपुर छावनी व भानपुर खंती पर खर्च कर दिए, जबकि यह दोनों काम केंद्र का अनुदान मिलने से पहले शुरू हो गए थे व उनके लिए निगम के बजट में पहले से प्रावधान था।
इतना ही नहीं, ऐसी भी खबर है कि नगरनिगम के कर्मचारी अपना काम भी ठीक तरह से नहीं करते हैं और लापरवाही के साथ सफाई करते हैं। नगर निगम द्वारा लगभग 6 महीने पहले 2 करोड़ की लागत से 3 रोड मशीनें भी खरीदी गई थी और अब तक इन मशीनों में 400 लीटर डीजल भी लग चुका है, किंतु सफाई कहीं नज़र नहीं आ रही है। कारण यह है कि ये मशीनें सिर्फ धूल को उड़ा रही हैं न की उसे जमा कर रही है।
इधर, प्रदूषण नियंत्रण मंडल (पीसीबी) ने निगम को शहर के उन स्थानों की लिस्ट भेजी है, जहां धूल व गाड़ियों के धुएं से प्रदूषण हो रहा है। इनमें सुभाष नगर, गोविंदपुरा, होशंगाबाद रोड, एमपी नगर, कोलार रोड, भोपाल स्टेशन, भोपाल टॉकीज चौराहा, बैरागढ़ मेन रोड, 10 नंबर मार्केट आदि। वहीं नगर निगम के कमिश्नर का कहना है कि ये धूल शहरभर में चल रहे निर्माण कार्यों की वजह से हो रही है।
अब आपको बताते हैं कि नगरनिगम द्वारा शहर की हवा सुधारने के नाम पर 111 रूपए की इतनी बड़ी राशि कैसे खर्च करी गई है-
इस बार बारिश में सड़कों पर हुए गड्ढों को भरने के लिए निगम ने लगभग 40 करोड़ खर्च किए हैं। इस राशि को भी क्लीन एयर प्रोग्राम पर हुए खर्च में जोड़ दिया। नगर निगम का कहना है कि उनके द्वारा गलियों और फुटपाथ पर लगाए गए पेविंग ब्लॉक आदि को जोड़कर कुल 43 करोड़ खर्च किए गए हैं। दूसरे छोटे-छोटे खर्च को और जोड़ लिया जाए तो निगम ने 15वें वित्त आयोग को जो यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट भेजा है, उसमें 110.79 करोड़ खर्च होना बताया है।
इतने करोड़ो रूपए लगाए जाने के बावजूद मध्यप्रदेश के सभी शहरों और जिलों में हवा की गुणवत्ता सुधरने का नाम नहीं ले रही है। यह अपने साथ कई बीमारियों को भी न्योता दे रही है। मध्यप्रदेश की हवा दिल्ली की हवा की टक्कर देने में लगी है, डर है कि कहीं मध्यप्रदेश की शुद्ध वायु खराब न हो जाए। इसलिए पैसे खर्च करने के बाद काम होता भी नज़र आना चाहिए। उम्मीद है, एमपी सरकार इस चिंताजनक विषय पर सख्त होकर काम करें और इस सुंदर प्रदेश को स्वच्छ और शुद्ध रख सकें।