राजधानी ट्रेन से शताब्दी ट्रेन तक देश में चलने वाली सभी ट्रेनों में पीने के पानी की व्यवस्था भारतीय रेलवे करती है।
जो शताब्दी जैसी ट्रेनों में लोगों को पीने के पानी की आधा लीटर या 500ml वाली बोतल और राजधानी, तेजस या फिर वंदे भारत जैसी ट्रेनों में पानी की एक लीटर की बोतल यात्रियों को देती है।
ऐसा रेलवे की तरफ से क्यों किया जाता हैं!!
शताब्दी, राजधानी, तेजस जैसी ट्रेनों में यात्रियों को पानी की बोतल रेलवे द्वारा दी जाती है।
अगर आपने भी कभी इन ट्रेनों से सफर किया होगा तो शायद इस बात गौर किया होगा कि शताब्दी में यात्रियों को आधे लीटर की बोतल दी जाती है, वहीं, बाकी ट्रनों में 1 लीटर।
क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है!!
क्या हैं फैसला
भारतीय रेल में जब भी आप सफर करते होंगे तो पीने के लिए पानी रेल नीर के तौर पर आपको मिलता है।
राजधानी हो या शताब्दी या फिर तेजस या फिर वंदे भारत की पानी की व्यवस्था रेलवे के द्वारा यात्रियों के लिए की जाती है।
लेकिन आपने शायद कभी इस बात पर गौर नहीं किया होगा की इन ट्रेनों में पानी की बोतल जो रेलवे की तरफ से दी जाती है।
जिसमें राजधानी और शताब्दी में दोनों कुछ अंतर है। असल में शताब्दी को लेकर रेलवे ने एक सर्कुलर 2016 में जारी किया और कहा 5 घंटे तक के सफर में केवल आधा लीटर या 500ml की पानी की बोतल यात्रियों को दी जाएगी।
उसके बाद इस सर्कुलर में संशोधन करके 2019 में शताब्दी के लिए आधे लीटर पानी की बोतल ही देने की सुविधा कर दी गई। जो अब तक उसी तरह जारी है।
आपने जब भी शताब्दी में सफर किया होगा तो आपको आधे लीटर की पानी ही रेलवे की तरफ से मिला होगा।
जबकि बाकी ट्रेनों में ऐसा नहीं है अगर आप राजधानी में सफर करें या फिर वंदे भारत या तेजस में।
हर किसी में पानी की एक लीटर की बोतल देने की व्यवस्था है।
अब सवाल उठता है की आखिर शताब्दी और बाकी ट्रेनों में यात्रियों की मूलभूत पानी की सुविधा में कटौती क्यों है!!
इस मामले में रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि मौजूदा समय में शताब्दी से यात्रियों को 500 मिलीलीटर रेल नीर की बोतल ही मुहैया करायी जाती है, क्योंकि बड़ी बोतल देने पर पानी की बर्बादी होती है।
असल में मंत्रालय का इस मामले में तर्क ये है शताब्दी चेयर कार ट्रेन है जो छोटी दूरी को तेज रफ्तार से तय करने के लिए चलाई गई थी।
शताब्दी के सारे सफर लगभग 5 से 6 घंटे में पूरे हो जाते है। इस श्रेणी की ट्रेनों में दिल्ली से भोपाल जाने वाली शताब्दी का सफर सबसे लंबा है।
जिसे यह साढ़े आठ घंटे में तय कर लेती हैं।
केवल शताब्ती ही क्यों
अधिकारियों ने बताया कि आखिर कई ट्रेन की समय अवधि तो शताब्दी के बराबर है तो फिर आखिर सुविधाओं में अंतर क्यों ? इस सवाल के जवाब में बताया गया कि कोई भी पॉलिसी रूट या एक ट्रेन के लिए नहीं बनाई जा सकती है।
वंदे भारत, राजधानी, तेजस इसमें कई ट्रेन 12 से 15 घंटे से ज्यादा तक सफर तय करती है, तो ऐसे में केवल एक रूट को लेकर ट्रेन की सुविधाओं में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
क्या शताब्दी की तरह बाकी ट्रेनों में मिलेगा केवल आधा लीटर पानी ?

इस सवाल के जवाब में रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि इस तरह का फैसला रेलवे बोर्ड के जरिए लिया जाता है।
अगर भविष्य में रेलवे बोर्ड को लगेगा की पानी की बर्बादी और वेस्ट मैटेरियल को रोकने के लिए कुछ रूट पर ये व्यवस्था दी जाए तो इस पर आगे फैसला हो सकता है।
लेकिन इसपर रेलवे के द्वारा बनाई गई विभिन्न कमेटी के ऊपर निर्भर करता है। अगर वो ऐसा प्रपोजल उनकी तरफ से आता है तो बोर्ड उस पर फैसला ले सकता है।