भारत को आजादी दिलाने में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई आज हम उन्हीं से जुड़ा एक किस्सा आपको बताने जा रहे हैं दरअसल 30 जून 1925 तब की बॉम्बे प्रेसिडेंसी के सूरत जिले में तैनात एक भारतीय PCS अफसर एमएस जयकर ने एक रिपोर्ट पेश की। जयकर ने सूरत के बारडोली तालुका के 23 गांवों के किसानों से वसूले जा रहे लगान में 30.59 फीसदी बढ़ोतरी की सिफारिश की। जयकर के बाद कमिश्नर ऑफ सेटलमेंट एफजीआर एंडरसन ने लगान में 29.03 फीसदी बढ़ाने की सिफारिश की। इस बहस के बीच बॉम्बे प्रेसिडेंसी ने 19 जुलाई 1927 को पूरे सूरत तालुका के लिए लगान की दर में 21.97 फीसदी बढ़ोतरी कर दी।
इस बढ़ोतरी के बाद 1927 में लोकल कांग्रेस ने एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें बताया कि किसान ये बोझ नहीं उठा पाएंगे। लेकिन ब्रिटिश हुकूमत ने एक नहीं सुनी।

सरदार पटेल ने सत्याग्रह कर 6 महीने में ही ब्रिटिश सरकार को घुटनों पर ला दिया - Vocal News
जिसके बाद किसान वल्लभ भाई पटेल के पास पहुंचे और सरदार पटेल ने 4 फरवरी 1928 को बारडोली में एक सभा करके सत्याग्रह की शुरूवात की। अगले दिन यानी 5 फरवरी को बढ़ा हुआ लगान चुकाने की तारीख थी। पटेल ने सत्याग्रह की प्लानिंग के लिए हुई पहली बैठक रद्द कर दी। उन्होंने कहा महिलाओं के बिना घर नहीं चल पाता और तुम लोग इतना बड़ा सत्याग्रह चलाने का सपना देख रहे हो।
वल्लभ भाई पटेल ने स्वराज आश्रम को केंद्र बनाकर छह महीनों के भीतर ऐसा अहिंसक जन आंदोलन खड़ा कर दिया कि अंग्रेजी हुकूमत को लगान बढ़ोतरी के मामलों के लिए मैक्सवेल-ब्रूमफील्ड कमीशन बनाना पड़ा और अंग्रेजी हुकूमत को 6.03 फीसदी बढ़ोतरी पर सब्र करना पड़ा। बढ़ा हुआ लगान न चुकाने पर जब्त मकान और जमीन भी सत्याग्रही किसानों को लौटानी पड़ी।

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12 फरवरी 1928 में शुरू हुए इस सत्याग्रह को पटेल ने अपनी सूझबूझ से 6 अगस्त 1928 तक एक सफल आंदोलन में तब्दील कर दिया। इसी आंदोलन के दौरान सत्याग्रही महिलाओं ने पगड़ी पहनाकर वल्लभ भाई पटेल को ‘सरदार’ का नाम दिया और देश को एक ताकतवर जननेता मिला, जिसने आजादी के बाद 550 से ज्यादा रियासतों का भारत में विलय करवाया।
सरदार पटेल अहमदाबाद से बारडोली आए और तालुका के आसपास के पुलिस थानों को देखा। हर जगह कोई न कोई हत्या के मामले दर्ज थे। आपको बता दें बारडोली एक ऐसी जगह थी जिसके थानों में हत्या का एक भी मामला दर्ज नहीं था। बस, यही वजह थी कि अहिंसक सत्याग्रह के लिए उन्होंने बारडोली को चुना।
सरदार पटेल ने कार की जगह मोटरसाइकिल चुनी, ताकि ज्यादा से ज्यादा गांवों तक कम टाइम में पहुंच सकें। वे छोटी-छोटी नावों से नदी पार करते और जरूरत पड़ने पर बैलगाड़ियों से भी सफर करते थे।
सत्याग्रह के दौरान पटेल ने किसानों से लगान न देने को कहा था। जवाब में ब्रिटिश हुकूमत ऐसे किसानों के घर, सामान और जमीन जब्त करने के लिए टीम भेजती थी। ऐसे में पटेल ने किसानों से कहा कि जब भी सरकारी टीम गांव आए तो वे आसपास के जंगलों में छिप जाया करें। गांवों में लोगों के न रहने पर टीम बिना कार्रवाई किए लौट जाती थी।