होली हम सभी का पसंदीदा त्योहार है। हम सब इसे बड़ी हो उत्साह से मनाते हैं।
होली खेलने के दौरान जरा सी भी लापरवाही आपको कई तरह की शारीरिक परेशानियां दे सकता है।
होली में यदि आप हानिकारक केमिकल युक्त कृत्रिम रंगों (Holi Colors) का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो बेहतर है कि इनका इस्तेमाल कम करें।
यदि इन आर्टिफिशियल रंगों से होली खेले बिना आपका मन नहीं मानता है।
तो इन जरूरी बातों को ध्यान में रखते हुए ही होली के त्योहार को सेलिब्रेट करने का मजा लें।
हर किसी को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है।
बच्चे तो तीन-चार दिनों पहले से ही आते-जाते लोगों पर पानी के गुब्बारे फेंकना शुरू कर देते हैं।
होली में हर तरफ रंग-गुलाल से खूब जमकर होली खेली जाएगी।
लेकिन, इस मस्ती और होली के हुड़दंग में अपनी सेहत का ख्याल भी रखना जरूरी है।
होली सेफ्टी टिप्स
• बेहतर होगा प्राकृतिक रंगों यानी नैचुरल कलर्स का इस्तेमाल करें।
• पूरी बांह यानी फुल स्लीव्स के कपड़ों को ही तवज्जो दें।
• रंगों में भीगने से पहले शरीर पर तेल लगाएं। ऐसा ही बालों के लिए भी करें। बेहतर होगा कि नारियल तेल का इस्तेमाल किया जाए। इससे रंग आपकी स्किन को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे।
• एक्सट्रीम डार्क कलर्स यानी बहुत गहरे रंगों के इस्तेमाल से बचने की कोशिश करें। ना खुद खरीदें और दूसरों को भी यही सलाह दें।
• कोशिश ये करें कि कोई भी रंग मुंह, नाक या फिर आंख में ना जाए।
• होली खुशियों का त्योहार है। इसलिए इसे सुरक्षित तरीके से मनाएं। नशीले पदार्थों या अल्कोहल का सेवन ना करें।
• बच्चों का विशेष ख्याल रखें। अगर वे रंग खेल रहे हैं तो बड़े जरूर करीब हों और नजर रखें।
• होली खेलने के बाद या दौरान अगर त्वचा में जलन हो, आंखों में धुंधलापन या खुजली हो या फिर सांस लेने में दिक्कत हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
• बहुत देर तक पानी में ना रहें। बच्चों का ध्यान इस मामले में ज्यादा रखें।
• कान में भी पानी ना जाने दें। केमिकल वाले कलर्स का पानी आपके कान को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
स्किन का ख्याल
बाजार में कई तरह के रंग उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ में लेड ऑक्साइड, कॉपर सल्फेट और माइका जैसे केमिकल्स का भी इस्तेमाल होता है।
इस तरह के केमिकल्स से बने रंग उन लोगों को खासतौर पर काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
जिनकी त्वचा संवेदनशील (Sensitive skin) होती है। इस तरह के रंगों से मुहासे, एलर्जी और एग्जिमा जैसी त्वचा संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।
आंखो का ख्याल
केमिकल वाले रंगों से आंखों को भी बहुत नुकसान हो सकता है और कई मामलों में तो ये काफी गंभीर रूप धारण कर लेते है।
अगर ये रंग आंखों में लगते हैं तो इससे आंखों में जलन हो सकती है। आंखें लाल हो सकती हैं।
इसके अलावा कंजक्टिवाइटिस और एलर्जी हो सकती है।
अस्थमा के मरीजो के लिए
यदि आप अस्थमा या दिल के मरीज हैं तो होली की मस्ती और उत्साह में ऐसा कोई काम न करें जिससे आपकी सांस फूलने लगे या दिल की धड़कन बढ़ जाए।
होली के मौके पर उड़ने वाले गुलाल और रंग अस्थमा के पेशंट्स के लिए गंभीर समस्या बन सकते हैं।
रंग के बारिक कण सांस के जरिये अगर शरीर के अंदर चले जाए तो परेशानी को और बढ़ा देते हैं।
ऐसे में कोशिश करें कि होली के दिन आप घर से बाहर न निकलें, हमेशा मास्क लगाकर रखें ताकी रंग-गुलाल और घूल के कण फेफड़ों तक न पहुंच पाएं।

स्किन ऐलर्जी के लिए
अगर आपको रंगों से ऐलर्जी है या फिर किसी भी तरह की स्किन प्रॉब्लम या एग्जिमा की दिक्कत है।
तो आपको होली के रंगों से पूरी तरह से दूर रहना चाहिए फिर चाहे वह ऑर्गैनिक कलर्स ही क्यों न हों।
इन दिनों मार्केट में मिल रहे ऑर्गैनिक कलर्स भी असलियत में ऑर्गैनिक हैं या नहीं ये पता कर पाना बेहद मुश्किल है।
लिहाजा आप चाहें तो फूलों वाली होली खेल सकते हैं।