पूर्वी मध्य प्रदेश का पठारी इलाका खनिज संपदा से भरा पड़ा है। अनूपपुर जिले की ही बात करें तो यहां कोयले और लोहे के असीम भंडार मिलते हैं। लगभग 1950 के दशक से ही यहां लगातार कोयले और लोहे का खनन किया जा रहा है। खनन के अब 70-75 साल बाद इन खदानों में कोयले और लोहे की उत्पादन की क्षमता लगभग खत्म हो चुकी है, इसलिए अब इन खदानों में खनन कार्य बंद किया जा रहा है। लेकिन खनन कार्य बंद हो जाने के बाद इन खदानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी से प्रशासन पल्ला झाड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। उत्पादन के बाद इन खदानों को यूं ही खुला छोड़ दिया गया है जिसके कारण खदानों के धंसने और भूकंप से लोगों का जीवन खतरे में पड़ सकता है।
अनूपपुर जिले के अंतिम छोर में स्थित बिजुरी नगर के पास ओसीम खदान को उस की उत्पादन क्षमता पूरी हो जाने के बाद 2018 में यूं ही खुला छोड़ दिया गया था। खदान के खुला छोड़ देने से जहां प्राकृतिक आपदाओं के होने का खतरा है वही एक दूसरी समस्या भी पैदा हो गई है। वह है खदानों से कोयले और लोहे की चोरी व तस्करी की। बिजुरी नगर
कार्यक्षेत्र कपिलधारा उपक्षेत्र में आता है। केवल दिखावे के लिए प्रशासन द्वारा खदान का मुंह तो बंद कर दिया गया लेकिन अब कोयला चोरों द्वारा वहां सुरंग बनाकर कोयले और लोहे की चोरी की घटनाएं आम हो गई हैं।
देखा जाए तो प्रतिदिन दर्जनों लोग सुरंगों से खदानों में अंदर चले जाते हैं और कोयले और लोहे की चोरी कर उसकी पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में तस्करी कर दी जाती है या प्रशासन की चोरी से बेच दिया जाता है। कालरी क्षेत्र की ऐसी ही खदान में दर्जन भर से ज्यादा सुरंगे पाई गई हैं। कोयला चोर बोरियों में कोयले और लोहे को भरकर बाहर ले आते हैं और उसे बेच देते हैं। इस प्रकार की घटना से जहां कोयला और लोहे की चोरी जैसा अपराध तो हो ही रहा है, साथ ही ऐसे लोग खदानों के धंसने और भूकंप आदि के खतरे के कारण अपनी जान से भी खेल रहे हैं।
स्थानीय लोग केवल खदानों में जाकर लोहा और कोयला ही नहीं चुरा रहे हैं, बल्कि खदानों के बाहर पुरानी पड़ी हुई खनन की मशीनों और खनन में इस्तेमाल होने वाले पुराने औजारों व ढांचे की भी चोरी कर रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि प्रशासन की तरफ से अभी पुलिस विभाग को इसकी कोई भी जानकारी नहीं दी गई है इसलिए पुलिस भी किसी भी तरह की र्कार्यवाही करने से परहेज कर रही है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा जहां खनन माफियाओं पर सख्त कार्यवाही के आदेश दिए जा रहे हैं वहीं स्थानीय लोग इस तरह से बंद पड़ी खदानों में जाकर कोयले और लोहे की चोरी कर रहे हैं।
पिछले साल भी भालूमादा थाने में एक ऐसे ही घटना सामने आई थी जहां बंद पड़ी कोयला खाने में चोरी करते वक्त खदान धंस जाने की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसी साल जनवरी महीने में शहडोल जिले में भी ऐसी ही एक घटना फिर सामने आई जहां बंद पड़ी खदान में सुरंग बनाकर चोरी करते हुए व्यक्ति की दबकर मौत हो गई थी।
इतने गंभीर विषय पर प्रशासन भी चुप्पी साधे बैठा हुआ है मानो किसी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है । अनूपपुर पुलिस अधीक्षक श्री अखिल पटेल जी ने काली प्रबंधन को निर्देशित किया है कि वह बंद पड़ी खदानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें और कोयला तथा लोहे की तस्करी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करें।
बंद पड़ी हुई खदानों को रेत गिट्टी या लकड़ियों से भरना प्रशासन की जिम्मेदारी है ताकि खदानों को धसने से बचाया जा सके लेकिन कार्यवाही के तौर पर केवल खदानों का मुंह बंद कर दिया जाता है और उन्हें खोखला ही छोड़ दिया जाता है स्थानीय लोगों द्वारा कोयले की चोरी एक अपराध तो है ही साथ ही वह खुद अपने जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। इससे पहले कि कोई बड़ी दुर्घटना हो प्रशासन को इस विषय पर उचित कार्यवाही करनी चाहिए।