अनूपपुर के कोतमा में बहुत बड़ा जमीन घोटाला सामने आया है। खबर है कि कटनी की ओजस्वी माइनिंग कंपनी ने धोखाधड़ी कर किसानों की लगभग 300 एकड़ जमीन अपने नाम करा ली है। किसानों को इस बात की भनक भी नहीं लगने पाई कि कब उनकी जमीन माइनिंग कंपनी द्वारा हथिया ली गई। ओजस्वी माइनिंग ने 300 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री के दौरान मूल दस्तावेजों में छेड़छाड़ और बदलाव करके इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। जमीन के दस्तावेजों में जहां छेड़छाड़ की गई वहीं जमीन के असली मालिक की तस्वीर की जगह भी किसी दूसरे व्यक्ति की तस्वीर लगा दी गई। तस्वीर को धुंधला करके उसकी पहचान जमीन मालिक के रूप में बता दी गई।
पूरा मामला आज से 8 साल पहले का बताया जा रहा है। मामले की शुरुआत तब हुई जब 9 मई 2013 को धनपुरी के रहने वाले अमित सिंह की 4 हेक्टेयर जमीन की रजिस्ट्री हुई। रजिस्ट्री में जमीन की कीमत 1.92 लाख रुपए बताई गई थी। जमीन घोटाले के भुक्तभोगी सीताराम की जमीन की रजिस्ट्री भी 13 सितंबर 2013 को ₹22000 में की गई थी। 9 मई से 13 सितंबर के बीच इन 4 महीनों में ओजस्वी माइनिंग ने गरीब किसानों की 300 एकड़ की जमीन को 60 अलग-अलग रजिस्ट्रीयां बनाकर अपने नाम कर लिया। तब से लेकर आज तक क्षेत्र में तीन रजिस्ट्रार के तबादले भी हो चुके हैं।
इस संबंध में पहली शिकायत सन 2014 में बोड़री ग्राम के रहने वाले सीताराम नामक किसान ने दर्ज कराई थी। किसान का आरोप था कि उसका पड़ोसी जमीन हड़पना चाह रहा रहा है। जबकि सीताराम की जमीन माइनिंग कंपनी द्वारा हथिया ली गई थी। 7 साल बाद उसी पड़ोसी द्वारा जब सीताराम से पूछा गया कि “तुमने अपनी जमीन बेच दी और बताया भी नहीं?”, तब सीताराम को पता लगा कि उसकी जमीन हाथ से निकल चुकी है।
सीताराम ने राजस्व विभाग में शिकायत दर्ज कराई तो पता चला की जमीन ओजस्वी माइनिंग के नाम हो चुकी थी। केवल सीताराम ही नहीं बल्कि अन्य किसानों की जमीन भी कंपनी अपने नाम कर चुकी थी। बाद में जमीन घोटाले की रिपोर्ट पुलिस के पास दर्ज कराई गई। पुलिस ने रिपोर्ट लिखते हुए जमीन धोखाधड़ी के 6 मामले दर्ज किए हैं। इसके अलावा अभी 35 अन्य शिकायतकर्ता भी सामने आए हैं जिनकी जानकारी के बिना उनकी जमीन माइनिंग कंपनी द्वारा हड़प ली गई है। पुलिस ने माइनिंग कंपनी के संचालक सहित 6 लोगों के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। लेकिन अभी तक मामले को कोर्ट में नहीं भेजा गया है। पुलिस का कहना है की अन्य शिकायतकर्ता कि सुनवाई के बाद ही आगे की कार्यवाही तय की जाएगी।
मामला केवल नकली दस्तावेजों से जमीन अपने नाम कराने का नहीं है बल्कि जमीन के ओने पौने दाम देकर किसानों से जमीन हड़पी गई है। 2013 में जर्रा टोला और खोडरी में खेती की जमीन का मूल्य एक लाख था। क्षेत्रीय निवासी अमित सिंह की जमीन का बाजार मूल्य जहां 7.7 लाख था वही उसे जमीन के केवल ₹192000 ही दिए गए। इसी तरह सीताराम की जमीन का बाजार मूल्य ₹50000 था जबकि उसे सिर्फ ₹22000 ही दिए गए ।
मामले में पुलिस कार्यवाही में सुस्ती दिखा रही है। क्षेत्र के एसपी अखिल पटेल का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है और इसके लिए एक विशेष टीम का भी गठन किया गया है। अन्य शिकायतकर्ता की सुनवाई के बाद ही जांच आगे बढ़ सकती है।
किसान भाइयों के लिए जमीन उसकी जीविका का साधन है। पूंजीपति कंपनियों द्वारा गैर कानूनी तरीके से जमीन का हड़पना गरीब किसानों के लिए संकट बन गया है। उम्मीद है किसान भाइयों को जल्द से जल्द न्याय मिलेगा और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।