पिछले दिनों राज्य सरकार द्वारा 1 सितंबर से मिडिल स्कूल खोलने का फैसला लिया गया था। कोरोना के लॉकडाउन के कारण लंबे समय से बंद स्कूलों को फिर से खोला गया था। उम्मीद जताई जा रही थी कि स्कूल खुलने के बाद अच्छी संख्या में बच्चे स्कूल पहुंचेंगे। लेकिन स्थिति कुछ और ही नजर आ रही है। स्कूलों में बहुत ही कम संख्या में बच्चों की उपस्थिति दर्ज की गई।
जिले में मिडिल स्कूलों की कुल संख्या 496 है । हालांकि स्कूलों को 50 फ़ीसदी क्षमता के साथ खोला गया था, इसके बावजूद बच्चों की उपस्थिति कहीं 15 कहीं 20, तो कहीं 45 प्रतिशत ही दर्ज की गई। स्कूल खोलने की जानकारी बच्चों के अभिभावकों को पहले ही पहुंचा दी गई थी। फिर भी बच्चे स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। लंबे समय से करोना के साए में रहे बच्चे फिर से स्कूल जाने से कतरा रहे हैं।बच्चे कोरोना के संक्रमण के फैलने के डर घबराये हुए हैं। बच्चों के अभिभावक भी इसी डर से बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं।
1 सितंबर से प्रशासन ने छठवीं से आठवीं तक के स्कूलों को खोलने का फैसला लिया था। जबकि 9 नौवीं से 12वीं तक के स्कूल 1 माह पहले ही खोले जा चुके थे। शहडोल जिले के जिला शिक्षा अधिकारी, सहायक आयुक्त एवं अन्य अधिकारियों ने पहले ही स्कूल खोले जाने की सारी व्यवस्था, करोना के नियमों और अन्य बातों की के लिए निर्देश जारी कर दिए थे। शिक्षकों को भी अनिवार्य रूप से टीका लगवाने के लिए कहा गया था। इसके बावजूद भी स्कूल में बच्चों की कम संख्या देखी जा रही है।
जिला के शिक्षा विभाग का कहना है कि धीरे धीरे स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ेगी और फिर से पठन-पाठन अपनी पहले की गति से चलने लगेगा। लगातार बच्चों के अभिभावकों से संपर्क किया जा रहा है। बीते दिन जिले के कलेक्टर डॉ सत्येंद्र सिंह ने भी पड़मनिया खुर्द के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय का अचानक दौरा किया। अपने निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने स्कूल की अव्यवस्था और गंदगी को लेकर फटकार लगाई और साफ सफाई रखने के लिए कहा। शिक्षकों को भी सतर्क रहने और लापरवाही न बरतने के लिए कहा गया। साथ ही विद्यालय में विकास कार्यों की समीक्षा भी की।