मानसून के मौसम में प्रदेश में कई तरह की खरीफ फसलें बोई जाती हैं। शहडोल जिला भी कृषि उत्पादन में अच्छा स्थान रखता है। लेकिन इस मानसून फसलों पर कई प्रकार के रोगों का साया मंडरा रहा है। फसलों में झुलसा रोग और ब्लाइट रोग जैसी बीमारियां किसानों के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। इन दोनों से रोगों से प्रभावित होने वाली फसलों में धान और अरहर प्रमुख हैं।
फसलों में झुलसा रोग के कुछ खास लक्षण होते हैं। इस रोग के कारण पहले पत्तियों में नाव के आकार के धब्बे नजर आते हैं। यह धीरे-धीरे बढ़ते हुए पूरी पत्तियों को सुखा देते हैं। दूर से देखने पर पूरा खेत झुलसा हुआ दिखाई देता है। इसी कारण इस बीमारी का नाम झुलसा पड़ा है। इसे ब्लास्ट रोग के नाम से भी जाना जाता है।
इलाके में फैली हुई फसलों की दूसरी बीमारी का नाम ब्लाइट है। ब्लाइट रोग का लक्षण यह है कि, इसमें पहले पत्तियां किनारे से पीली होने लगती हैं। फिर बाद में पत्तियों में भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं और धीरे-धीरे पत्तियां सूखने लगती
हैं। यह रोग प्रमुख रूप से धान की फसल में देखा जा रहा है, लेकिन कहीं-कहीं अरहर की फसल भी इसकी चपेट में है। अरहर की फसल में ब्लाइट रोग का लक्षण यह है कि इसमें फसल का तना गलता हुआ दिखाई पड़ता है। जिससे पौधा सूखने लगता है और फसल बर्बाद हो जाती है।
कृषि विभाग का कहना है कि सही समय पर इन रोगों की रोकथाम ना की गई तो फसल उत्पादन पर भारी असर पड़ सकता है। जिसका नुकसान किसान भाइयों को उठाना पड़ सकता है। स्थिति से निपटने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने कुछ उपाय बताएं हैं।
कृषि वैज्ञानिकों ने झुलसा रोग की रोकथाम के लिए उपाय बताया है। हेक्साकोनाजोल की 100 मिली मात्रा या प्रॉपीकॉनाजोल की 200-250 मिली मात्रा को मिलाकर 10 टंकी का घोल बना लें और प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। साथ ही यदि खेत में पानी भरा हुआ है तो पानी को बाहर निकाल दें।
ब्लाइट रोग की रोकथाम के लिए भी वैज्ञानिकों ने कुछ कीटनाशक दवाई बताई हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए ऊपर दिए गए कीटनाशक के साथ ही स्ट्रैप्टोसायक्लीन कीटनाशक की 5 मिली मात्रा को मिलाकर प्रति टंकी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
कृषि वैज्ञानिकों ने इसके बाद गांधी बग कीट नामक रोग के फैलने की भी आशंका जताई है। इस रोग की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड की 150 मिली मात्रा को प्रति एकड़ घोल बनाकर खेतों में छिड़काव करें।
शहडोल जिले के साथ ही पूरा प्रदेश और देश, कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था पर ही निर्भर है। खरीफ की फसलों में इस तरह की बीमारियां अगर बढ़ती हैं तो जिले के साथ-साथ पूरे प्रदेश और देश में भी खाद्य आपूर्ति का संकट बढ़ सकता। प्रशासन की ओर से किसान भाइयों को इन रोगों की रोकथाम के लिए आवश्यक कीटनाशकों को कम कीमत पर जल्द से जल्द उपलब्ध कराना चाहिए।