यूं तो लगभग हर विभाग में लेटलतीफी और काम में गड़बड़ी के मामले सामने आते रहते हैं। लेकिन खाद्य और आपूर्ति विभाग की स्थिति ज्यादा खराब है। पूरे शहडोल संभाग में लगभग 900 शिकायतें बीते 10 महीनों से अटकी हुई हैं। इनमें से शहडोल जिले की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा कल 7 सितंबर को इस पूरे मामले की समीक्षा की जानी है। मुख्यमंत्री जहां समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से शिकायतकर्ताओं से बात करेंगे, वही विभाग के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों से भी उनके काम का हिसाब मांगेंगे।
मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद विभागों में अफरा तफरी मच गई है और सब काम की लीपापोती करने में लगे हुए हैं। शहडोल जिले के अपर कलेक्टर द्वारा मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम के संबंध में समस्त विभागों को एक पत्र भी लिखा गया। कलेक्टर ने जहां विभागों को बताया कि उनके काम करने की रफ्तार बहुत धीमी है वही उन्हें जल्द से जल्द काम को पूरा करने के भी निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि लंबे समय से लंबित शिकायतों पर जल्द से जल्द कार्यवाही की जानी चाहिए। लेकिन अभी तक इस पर विभागों द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
वर्तमान की स्थिति को देखा जाए तो मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में संभाग के विभिन्न विभागों की लगभग 4000 शिकायतें अधर में लटकी हुई है। इन 4000 शिकायतों में से खाद्य और आपूर्ति विभाग की ही केवल 900 से ज्यादा शिकायतें हैं। इनमें से कई शिकायतें तो पिछले 10 महीनों से लंबित हैं। अधिकारियों द्वारा इनमें कोई कार्यवाही नहीं की गई और अधिकतर शिकायतों को तो देखा तक नहीं गया।
केवल जुलाई महीने की ही बात करें तो खाद्य विभाग से संबंधित लगभग 200 शिकायतें दर्ज कराई गई है। इनमें से अभी तक 50 शिकायतों को देखा तक नहीं गया है। शिकायतें बिना देखे सुने ही लेवल वन से लेवल टू और लेवल टू से लेवल थ्री तक पहुंचा दी जाती है।
संभाग में सबसे बुरा हाल शहडोल जिले का है। शहडोल जिले की लगभग 600 शिकायतें लंबित हैं जो खाद्य आपूर्ति विभाग से संबंधित हैं। इनमें 287 शिकायतें लगभग 10 महीनों से अटकी पड़ी है। वहीं उमरिया जिले की बात करें तो यहां खाद्य विभाग से संबंधित लगभग 256 शिकायतें दर्ज है जो 10 महीनों से लंबित है। अनूपपुर जिले में भी 255 शिकायतें 10 महीनों से बिना सुनवाई के लटकी हुई है। इन तमाम शिकायतों में से शहडोल की 884 शिकायतों, उमरिया की 522 शिकायतों और अनूपपुर की 624 शिकायतों को आंशिक रूप से बंद कर दिया गया है। कुछ शिकायतों को स्पेशल क्लोज़र दे दिया गया है।
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की इन शिकायतों में अधिकतर शिकायत नवीन राशन कार्ड से संबंधित एवं पात्रता पर्ची से संबंधित हैं। वही कुछ शिकायतें शासकीय दुकानों द्वारा स्टॉक ना होने, दुकान बदलवाने की भी दर्ज की गई हैं। अन्य शिकायतों में तय समय पर राशन ना मिलने और कम मात्रा में राशन मिलने की भी शिकायतें हैं।
बीते दिन जब मुख्यमंत्री द्वारा 7 दिसंबर को शिकायतों की समीक्षा का ऐलान किया गया तो अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे और विभाग के अधिकारी मामले को लीपापोती में जुट गए। खाद्य विभाग से जुड़ी शिकायतें जो 10 महीने से लंबित हैं, इनसे अंदाजा लगाया जा सकता है की आम आदमी किस हद तक प्रशासन की लापरवाही का शिकार हो रहा है। उन्हें समय पर अनाज ना मिलने, कम मात्रा में अनाज मिलने से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई परिवारों में तो भुखमरी की नौबत भी आ चुकी है। लेकिन प्रशासन केवल समीक्षा और अन्न उत्सव के महिमामंडन में जुटा हुआ है।