उमरिया जिले के मानपुर जनपद के खालौध गांव के मौहार में प्रशासन को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। यूं तो बिजली की समस्या का रोना देश में हर जगह एक सा ही है, लेकिन उमरिया जिले के किसानों की समस्या और भी गंभीर है। पिछले दिनों उमरिया के मौहार गांव में एमपीईबी विद्युत वितरण कंपनी ने 100 किलो वाट का एक ट्रांसफार्मर लगाया था। सिर्फ 2 से 3 फेस का लोड बढ़ाते ही ट्रांसफार्मर जल गया। इस घटना को 2 महीने बीत चुके हैं।
गांव के लगभग 75 किसानों ने कई बार संबंधित अधिकारियों से इस विषय में शिकायत की और नया ट्रांसफार्मर लगाए जाने की मांग की। प्रशासन द्वारा किसानों की बात को बार-बार टाला जाता रहा। जल्द ही सुधार कार्य हो जाएगा यह दिलासा भी दिया जाता रहा। देखते देखते 2 महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया लेकिन अभी तक इलाके में नया ट्रांसफार्मर नहीं लगाया गया है।
इस वर्ष पहले ही पर्याप्त मात्रा में बारिश ना होने की वजह से खेती को काफी नुकसान हुआ है। किसान अपनी सिंचाई साधनों से सिंचाई करके फसल पैदा कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में पिछले 2 महीनों से इलाके में ट्रांसफार्मर ना होने से सिंचाई भी पूरी तरह से बाधित हुई है। नतीजा यह निकला कि किसानों की खड़ी फसलें सिंचाई ना होने से सूख रही है। कई किसान परिवार बर्बाद होने की कगार पर आ चुके हैं।
किसानों की जीविका का एकमात्र साधन खेती ही है। और जब 2 महीनों से ट्रांसफार्मर ना सुधारे जाने की वजह से सिंचाई नहीं हो पाई तो फसने भी सूखने लगीं। इसका पूरा खामियाजा गांव के गरीब किसान उठा रहे हैं।किसान 2 महीने तक प्रशासन को नींद से उठाते रहे, लेकिन जब पानी सर के ऊपर चला गया तो गांव के 70 से अधिक किसानों ने एक शिकायत पत्र पर दस्तखत कर बिजली विभाग के बाहर प्रदर्शन किया।
किसानों का कहना है कि इलाके में 100 किलो वाट की जगह 200 किलो वाट क्षमता का ट्रांसफार्मर लगाया जाना चाहिए। बीते 6 महीनों में तीसरी बार ट्रांसफार्मर जलने की यह घटना सामने आई है। घटना के विषय में पिछले 2 माह से स्थानीय किसान एमपीवी कार्यालय भरेवा, कार्यपालन यंत्री, अधीक्षक मंत्री को शिकायत व आवेदन भेज रहे हैं। लेकिन प्रशासन के कान में जूं नहीं रेंग रही है।
विद्युत कंपनियां जहां मनमाने तरीके से ग्रामीण इलाकों में विद्युत कटौती करती हैं वही विद्युत के आधारभूत ढांचे में इतना खराब सामान इस्तेमाल करती हैं कि वह जल्दी जल्दी बिगड़ता और खराब होता है। जिसकी वजह से आम लोग परेशानी उठाते हैं। भोली भाली ग्रामीण जनता को विद्युत कंपनियां सालों से इसी तरह बेवकूफ बना रही हैं। यह कंपनियां अच्छी तरह जानती हैं कि सीधे-साधे किसान जो ना तो ज्यादा पढ़े लिखे हैं ना ही इतने ज्यादा जागरूक हैं उन्हें आसानी से बहलाया फुसलाया जा सकता है।
जबकि शहरों में इस तरह की स्थिति कम देखने में आती है क्योंकि शहर में लोग जागरूक हैं पढ़े लिखे हैं और अपने अधिकारों के प्रति सजग हैं। विद्युत कंपनियों की यह मनमानियां लोगों के लिए परेशानी तो है ही लेकिन अबे किसानों की जीविका पर भी संकट बन चुकी हैं। प्रशासन अगर जल्द से जल्द कोई कार्यवाही नहीं करता है तो कई किसान परिवार पर संकट मंडरा सकता है।