शहडोल शहर का नगर प्रशासन पूरी तरह से चरमराता हुआ नजर आ रहा है। लोगों को सड़क, पानी, बिजली, सफाई जैसी सुविधा के लिए भी परेशानियां हो रही है। सफाई की बात करें तो शहर में जहां तहां गंदगी के ढेर दिखाई पड़ जाते हैं। नालियों की हालत वैसे भी बदतर है।
टूटी-फूटी नालियां जाम होकर गंदगी और बीमारियां फैला रही हैं। नालियों से उठती दुर्गंध और उन में पैदा होने वाले मच्छर मक्खी लोगों को बीमार भी कर रहे हैं। नालियां के ऊपर बनाए गए कवर टूट चुके हैं। जिससे कभी-कभी उनमें वाहन भी फंस जाते हैं और दुर्घटनाग्रस्त भी हो जाते हैं। गंदी नालियों में पनपने वाले मच्छर-मक्खियों से डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियों का खतरा पहले ही बना हुआ है। टूटी नालियों के कारण वाहनों की दुर्घटना, गंदगी, और दुर्गंध की समस्या भी लोगों को परेशान कर रही है।
शहर के लगभग हर इलाके और वार्ड का यही हाल है। हर वार्ड की नालियां कचरे से पटी है। नालियां जाम होने के कारण गंदा पानी सड़क पर और आसपास के क्षेत्र में फैल रहा है। वार्ड संख्या 03, 04, 15, 16, 18, 20, 21, 22, 23 की स्थिति ज्यादा बुरी है। यहां नालियां बुरी तरह जाम हो चुकी हैं और नालियों के ऊपर के बनाए गए कवर भी टूट चुके हैं।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से कई बार नालियों की साफ-सफाई और सुधार कार्य के लिए शिकायतें कीं। साथ ही लोगों द्वारा इलाके में फागिंग मशीन चलाई जाने की भी सिफारिश की गई लेकिन प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। लगभग 4 साल से क्षेत्र में फागिंग मशीन का प्रयोग बंद है। वार्डों और पार्षदों के चुनाव के दौरान नेताओं द्वारा फागिंग मशीन चलाने का मुद्दा कई बार उठाया गया लेकिन चुनाव गुजरते ही सारे वादे हवा हो गए।
मच्छर मक्खियों से फैलने वाली बीमारियों से बचने के लिए लोग अपने अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। कोई धुंए से, तो कोई कीटनाशक दवाइयों से मच्छरों से बचने का प्रयास कर रहा है।
केवल रिहायशी इलाके ही नहीं बल्कि लोग जिले के सरकारी अस्पताल की टूटी नालियों और गंदगी से भी परेशान हैं। अस्पताल के सामने बनी नालियों के कवर टूट चुके हैं। जिससे चार पहिया वाहन और एंबुलेंस आदि उन में फंस जाते हैं और कभी कभी दुर्घटनाग्रस्त भी हो जाते हैं। नालियों से उठने वाली गंध मरीजों को और भी बीमार करती है।
प्रशासन की लापरवाही का नजारा केवल नालियों तक ही सीमित नहीं है। अस्पताल के परिसर के अंदर बोरिंग मशीन के पास लगे हुए विद्युत पंप के पास नाली का और बरसात का गंदा पानी भर जाता है। वैसे तो अस्पताल का गंदा पानी नालियों के माध्यम से होकर बाहर निकलना चाहिए लेकिन कई दिनों से यह गंदा पानी नालियों के जाम होने से अस्पताल परिसर में भर रहा है। नगर प्रशासन से मीडिया द्वारा इस मुद्दे पर पूछने से यही उत्तर मिला है कि नगर पालिका के पास बजट नहीं है।
वहीं अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर जी एस परिहार का कहना है कि भारी वाहनों के प्रवेश से नालियों के कवर टूट रहे हैं। इसलिए अस्पताल में भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाएगा और पानी की निकासी के प्रबंध किए जाएंगे। डॉक्टर ने यह भी बताया कि शासन को पत्र लिखकर अस्पताल में ईटीपी मशीन लगाने के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया। इससे गंदे पानी को साफ बनाकर अन्य कामों में प्रयोग किया जा सकता है।
लेकिन फिलहाल के लिए स्थिति यह है कि टूटी फूटी नालियां उनमें जमी गंदगी और यहां वहां फैलता नालियों का पानी लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। नगर पालिका द्वारा नालियों को ढकने के लिए इतने घटिया गुणवत्ता वाले सामान का प्रयोग होता है कि वह कुछ ही दिन टिकतें हैं और थोड़े से वजन से ही धंस जाते हैं या टूट जाते हैं। नतीजा यह होता है कि नालियां टूट जाती हैं और पानी फैलने लगता है। प्रशासन द्वारा ना तो समय पर नालियों की साफ-सफाई कराई जाती है, ना ही कीटनाशक दवाई का छिड़काव होता है। शहर की जनता को गंदगी और मच्छर मक्खियों के हवाले छोड़ दिया गया है।