राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक सहयोगी संगठन, भारतीय किसान संघ ने एक देशव्यापी आंदोलन छेड़ दिया है। किसान संघ का मानना है कि किसानों को उनकी उपज की लागत के अनुसार लाभकारी मूल्य नहीं दिया जा रहा है। सीधे अर्थों में माने तो किसान संघ न्यूनतम समर्थन कीमत में बढ़ोतरी की मांग कर रहा है। पूरे देश में हो रहे किसान संघ के इस आंदोलन का असर शहडोल जिले में भी देखने को मिला।
जिले के किसान संघ के सदस्यों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय से अपना प्रदर्शन शुरू किया और कलेक्टर ऑफिस के लिए रवाना हुए। इस प्रदर्शन रैली की अध्यक्षता जिले के किसान संघ के अध्यक्ष एवं प्रांत मंत्री होरीलाल जयसवाल ने की। किसानों का भारी हुजूम आरएसएस ऑफिस से नारे लगाते हुए कलेक्टर ऑफिस की ओर बढ़ा। हाथों में झंडे, बैनर और नारे लगाते हुए किसान भाई कलेक्टर ऑफिस पहुंचे।
“किसानों ने यह ठाना है, लाभकारी मूल्य पाना है”, ” देश के हम भंडार भरेंगे, लेकिन कीमत पूरी लेंगे”, इस तरह के नारों से सड़कें गूंजती हुई नजर आईं। कलेक्टर ऑफिस पहुंचकर प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा।
इस मौके पर पूर्व जिला अध्यक्ष डॉक्टर भानु प्रताप सिंह, सुहागपुर तहसील के मंत्री विजय गुप्ता, बुढार के अध्यक्ष पुरुषोत्तम मिश्र, गोहपारू के सुशील त्रिवेदी व अन्य किसान नेता उपस्थित रहे।
रोचक बात यह है कि केंद्र और राज्य में दोनों ही जगह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित बीजेपी सरकार शासन कर रही है। और आरएसएस का ही एक सहयोगी संगठन भारतीय किसान संघ बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। इससे यही मतलब निकलता है की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी केंद्र और राज्य की कृषि नीतियों से खुश नहीं है। वह ऐसे आंदोलनों से राज्य और केंद्र सरकार को अपनी नाराजगी जताना चाहता है।
हाल ही में हुए नए कृषि सुधारों से देश में पहले ही माहौल गर्म है। दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन अभी तक थमे नहीं हैं। ऐसे में खुद आरएसएस समर्थित किसान संघ का आंदोलन करना केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। फिलहाल किसानों की इन मांगों को जल्द से जल्द सुना जाना चाहिए और इस पर कार्यवाही होनी चाहिए।