पिछले दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों को लेकर एक ऑनलाइन समीक्षा बैठक की गई थी। इसमें सभी जिलों के कलेक्टरों और संभाग आयुक्तों को जल्द से जल्द लोगों की समस्याओं को दूर करने के निर्देश दिए गए थे। इसी क्रम में प्रदेश के संभागों और जिलों में संभाग आयुक्त, कलेक्टर, सचिव आदि बैठकों में लगे हुए हैं।
ऐसा ही नजारा शहडोल संभाग में भी देखने को मिला। यहां शहडोल संभाग के संभाग आयुक्त राजीव शर्मा द्वारा संभाग के तीनों जिलों के कलेक्टर, अपर कलेक्टर व सचिव आदि के साथ बैठक की गई। और विभागों को जल्द से जल्द उनका काम निपटाने के आदेश दिए गए।
वर्तमान की स्थिति को देखा जाए तो संभाग के तीनों जिलों के विभिन्न विभागों में हजारों शिकायतें लंबित हैं। राजस्व के ही 21000 से ज्यादा मामले महीनों से फंसे हुए हैं। राजस्व के मामलों में 251 मामले तो ऐसे हैं जो पिछले 5 वर्ष से भी ज्यादा समय से लंबित हैं।
अधिकारी वर्ग का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में शिकायतों को देखते हुए कोर्ट के दिन और राजस्व न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। जबकि सच्चाई कुछ और है। राजस्व अधिकारी दूसरे माध्यम से अपनी जेब भरने में लगे होते हैं। इसी कारण से वे आम आदमी की समस्याओं को टालते रहते हैं।
फिलहाल, स्थिति को देखते हुए आयुक्त राजीव शर्मा द्वारा राजस्व न्यायालयों के दिनों को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही राजस्व अधिकारियों को भी चेताया गया है कि जल्द से जल्द सारी शिकायतों का निपटारा करें।
संभाग आयुक्त द्वारा केवल कलेक्टर ही नहीं बल्कि एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदारों, पटवारी आदि अधिकारी वर्गों से भी उनके संबंधित कामों को जल्द से जल्द निपटाने के निर्देश दिए गये। आयुक्त ने विभिन्न विभागों की कुछ मुख्य समस्याओं पर भी गौर किया है। स्कूलों और कॉलेजों पर हो रहे अतिक्रमण, राशन कार्डधारी लोगों को समय पर नहीं मिल रहे अनाज, मनरेगा में रोजगार की स्थिति, नगर पालिका द्वारा शहर में सफाई व्यवस्था आदि मुद्दों पर भी बात हुई ।
आयुक्त का यह भी कहना है कि यदि अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किसी भी तरह की कोताही या लापरवाही दिखाई गई तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
घूम फिर कर बात फिर वहीं आ जाती है कि इस तरह की बैठकें, आदेश, निर्देश और नियम वर्षों से लोग देखते आ रहे हैं। कुछ दिन अधिकारी वर्ग इन आदेशों का पालन भी करते हैं लेकिन फिर स्थिति ज्यों की त्यों हो जाती है। आम आदमी की परेशानियां भी वैसे ही बनी रहती हैं। प्रशासन को इन विषयों पर कोई स्थाई हल खोजने की आवश्यकता है।