बरसात के मौसम में बढ़ते वायरस बैक्टीरिया बीमारियां पैदा कर रहे हैं। जिले में मौसमी और वायरल बीमारियों का मानो कहर टूट पड़ा है। अस्पतालों में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले एक महीने की ही बात करें तो पहले की तुलना में 7 से 8 गुना मरीज बढ़े हुए पाए गए। इन मौसमी बीमारियों में अधिकतर सर्दी, बुखार, जुखाम, मलेरिया, टाइफाइड आदि बीमारियों से पीड़ित हैं।
जिला चिकित्सालय की स्थिति बिगड़ती जा रही है। अस्पताल में मेडिकल वार्ड के सभी बेड मरीजों से भर चुके हैं। यहां तक कि बच्चा वार्ड के भी बेड जो अक्सर खाली ही रहा करते थे उनमें भी भारी संख्या में बच्चों का इलाज चल रहा है। बरसात के मौसम में खतरा केवल मलेरिया टाइफाइड से ही नहीं बल्कि मच्छरों से फैलने वाले डेंगू , चिकनगुनिया, चूहों से फैलने वाले स्क्रब, टायफस और पक्षियों से फैलने वाले फ्लू जैसी बीमारियों का भी है।
इतनी भारी संख्या में मरीजों का अस्पताल पहुंचना जिला चिकित्सालय के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। आंकड़ों की माने तो अस्पताल में प्रतिदिन 600 से 800 मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं। पिछले माह 1 अगस्त को जहां अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या 131 थी वहीं एक माह बाद 1 सितंबर को यह संख्या बढ़कर 829 हो गई है।
इन मरीजों में से कुछ तो गंभीर बीमारियों से पीड़ित है, लेकिन अधिकतर मौसमी और वायरल बीमारियों के शिकार हैं। पिछले महीने 523 लोगों की खून जांच में चार लोग टाइफाइड व 550 लोगों की जांच में 6 लोगों को मलेरिया बीमारी से ग्रसित पाया गया। बताया यह भी जा रहा है कि पांच ऐसे संदिग्ध मामले हैं जिनमें डेंगू बीमारी का लक्षण पाया जा रहा है लेकिन अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है।
मौसमी बीमारियों के बाद, अभी भी कोरोना की लहर के आने का खतरा बना हुआ है। इस संबंध में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि करोना की तीसरी लहर से बचने के सारे प्रबंध किए जा चुके हैं। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ मिलिंद सिरालकर ने बताया कि जिले में 540 ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की व्यवस्था कर ली गई है। वहीं बच्चों के लिए भी 40 ऑक्सीजन सपोर्ट बैड तैयार हैं। वही आईसीयू सुविधा से लैस 80 व ऑक्सीजन सुविधा से लैस 100 सामान्य बेड भी तैयार किए जा चुके हैं। ऑक्सीजन प्लांट की भी निगरानी की जा रही है और ऑक्सीजन सप्लाई की चैन दुरुस्त की जा रही है।
वायरल बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या को लेकर जिले के सीएमएचओ डॉ एमएस सागर का कहना है कि अस्पताल हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। अभी तक जिले में डेंगू, स्क्रब, टायफस के कोई भी मामले सामने नहीं आए हैं लेकिन प्रशासन उसके लिए भी तैयार है। सर्दी, बुखार, मलेरिया के मरीजों का भी अच्छा इलाज किया जा रहा है। मेडिकल के महिला व पुरुष वार्ड में अभी 30-30 बैडों की व्यवस्था है। प्रशासन ने यह भी कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो जमीन पर भी बेड लगाए जा सकते हैं। लेकिन किसी भी मरीज को बिना इलाज के नहीं लौटाया जाएगा।
अस्पताल प्रशासन का यह जज्बा देखकर लोगों में भी स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति कुछ भरोसा बढ़ा है। लेकिन अभी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल वही बना हुआ है कि वायरल बीमारियों का खतरा हर बरसात के मौसम में देखा जाता है, फिर भी प्रशासन द्वारा इसके लिए पहले से कोई इंतजाम नहीं किया जाता। अंत में मामले को रफा-दफा करने के चक्कर में कहीं जमीन पर बैड लगाए जाते हैं तो कहीं मरीज को केवल दवा देकर वापस लौटा दिया जाता है। स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधा में प्रशासन को अभी और सुधार करने की आवश्यकता है।