कहते हैं कि शिक्षा से समाज की दिशा बदली जा सकती है, लेकिन प्रदेश में चंदवार गांव में शासकीय स्कूल परिसर का नजारा उक्त हकीकत को आइना दिखाता है। करोना के चलते पिछले 2 वर्ष से अध्यापन कार्य बंद होने के कारण, महज ऑनलाइन कक्षाएं ही चल रहीं थीं। इसी कारण वश विद्यालय परिसर अव्यस्था से घिर चुका है।
बाउंड्रीवॉल ना होने के कारण, परिसर के भीतर एक हिस्से में इमारत की हालत जर्जर है। हालत इतनी खराब है की यहां इंसान तो दूर, मवेशी भी रहना पसंद नही करेंगे। रख रखाव के आभाव में कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। आंगनवाड़ी, प्राथमिक व माध्यमिक स्तर की संस्थाएं कलेक्ट्रेट परिसर से विकटगंज मार्ग किनारे चंदवार गांव में ही यह संचालित हैं।
कुल मिलाकर 141 बच्चों के नाम विद्यालय प्रबंधन के अनुसार प्राथमिक शाला में पंजीकृत है और 182 बच्चों के नाम माध्यमिक शाला में पंजीकृत है। पठन पाठन कार्य के लिए पर्याप्त कमरे मौजूद हैं। रात में यहां शराब खोरों का धरना रहता है जिस की वजह है चारों ओर से बाउंड्रीवाल की कमी। जिन विद्यालयों में बच्चों को किताबी शिक्षा के साथ ही स्वच्छता और साफ सफाई का पाठ पढ़ाया जाता है उन विद्यालयों में ही गंदगी का अंबार है और दशकों पहले शासन द्वारा स्कूल परिसर का निर्माण तो किया जा रहा था लेकिन शिक्षक से लेकर विभागीय अधिकारी तक साफ सफाई व्यवस्था को सही करने की दिशा में कोई सार्थक कदम नही उठाय जा रहे हैं।
यहां जहरीले जीवों का अलग खतरा बना हुआ है। अव्यवस्थाओं का पता विद्यालय में प्रवेश करते ही स्पष्ट दिखाई पड़ता है। सामने बाउंड्री वाले हिस्से में बड़ी बड़ी घांस उग आई है। पंचायत भवन सड़क के दूसरे छोर में है। पास में हैंडपंप होने के कारण, आसपास के लोग निस्तार कर पानी ले जाते हैं। आवश्यक सफाई न होने के कारण, नाली कचरे व घास में ढक चुकी है।
पिछले एक साल से पानी का बहाव न होने के कारण गंदा पानी स्कूल के भीतर घुस रहा है। स्कूल परिसर के अंदर ही आंगनवाड़ी की व्यवस्था है और प्रवेशद्वार के पास नाली वाले हिस्से में गंदा पानी का जमावड़ा बना रहता है। इसी गन्दगी से गुजरकर हर सप्ताह गर्भवती महिलाएं आंगनवाड़ी आतीं हैं। विद्यालयों के बीच व स्टाफ भी यहीं से गुजरते है। छात्र बताते हैं की कई बार वो फिसलकर गिर जाते हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया की इसकी जानकारी उन्होंने पंचायत सचिव को दी है। फिर भी कोई सुधार नही किया गया है। उमरिया के कलेक्टर का कहना है की “गांव में इस तरह की समस्याएं पंचायत व स्थानीय विद्यालय प्रबंधन को अपने स्तर से निपटा लेनी चाहिए। मैने जनपद सीईओ को निर्देश दिए है।”
एक ओर जहां देश को सुंदर व स्वच्छ बनाए रखने के लिए निर्मल भारत अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की लापरवाही देखने को मिल रही है।