अनूपपुर जिले का नगर प्रशासन मानो पूरी तरह चरमरा चुका है। अनूपपुर जिले को बने हुए 18 साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, यहां तक की ग्राम पंचायत से नगर परिषद बने हुए भी काफी समय हो चुका है, इसके बाद भी शहर के नगर प्रशासन की हालत नहीं सुधर सकी है। नगर पालिका के तहत काम करने वाले सफाई कर्मियों को ना तो समय पर वेतन दिया जा रहा है और ना ही उन्हें नियमित किया जा रहा है।
नगर परिषद के अनेकों सफाई कर्मियों का पिछले 8 महीने से वेतन रोक कर रखा गया है। 8 महीनों से उन्हें उधारी या कर्ज़ लेकर अपना परिवार पालना पड़ रहा है। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर नगर पालिका परिषद के 85 सफाई कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। हड़ताल 11 सितंबर से चल रही है।
इस हड़ताल में केवल सफाई कर्मी ही नहीं बल्कि वाहन चालक कंप्यूटर ऑपरेटर और अन्य दैनिक वेतनभोगी भी शामिल है। दैनिक वेतन भोगियों का कहना है कि उन्हें 8 महीनों से वेतन नहीं दिया जा रहा है। इससे उनकी जीविका पर संकट आ पड़ा है। वर्तमान में नगर पालिका परिषद में कुल 56 सफाई कर्मी है। जिनमें से केवल 5 ही नियमित हैं जबकि 51 सफाई कर्मी दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे हैं।
इन सफाई कर्मियों व दैनिक वेतन भोगियों द्वारा की जा रही है हड़ताल का असर भी दिखने लगा है। सफाई ना होने की वजह से शहर में जगह-जगह गंदगी के ढेर नजर आने लगे हैं। चाहे बाजार हो या बस स्टैंड, सड़क हो या मैदान, हर जगह कूड़ा और कचरा नजर आ रहा है। हड़ताल से केवल शहर की सफाई व्यवस्था ही प्रभावित नहीं है बल्कि अन्य विभागों के काम भी प्रभावित हो रहे हैं।
दैनिक वेतन भोगियों की हड़ताल को अच्छा समर्थन भी मिल रहा है। 12 सितंबर को ही नगर पालिका अध्यक्ष रामखेलावन राठौर ने भी आंदोलन स्थल पर पहुंचकर आंदोलनकारियों की मांगों को सही ठहराया और उन्हें जल्द से जल्द पूरा किए जाने का पक्ष रखा। नगर पालिका अध्यक्ष का कहना था कि परिषद को यात्री कर व चुंगी कर के रूप में भारी मात्रा में राशि प्राप्त होती है। जिससे इन कर्मचारियों का वेतन दिया जा सकता है। लेकिन परिषद कर्मचारियों को वेतन देने की जगह दूसरी वस्तुओं की खरीद में पैसा खर्च कर देती है।
आंदोलनकारियों का कहना है कि नगर पालिका में ना तो कर्मचारियों को नियमित ही किया जा रहा है और ना ही पदों की संख्या ही बढ़ाई जा रही है। आज से 10 साल पहले 2011 में प्रशासन द्वारा नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई थी। कुछ कर्मचारियों को नियमित किया गया था लेकिन इसकी स्पष्ट जानकारी आज तक लोगों को नहीं मिल पाई है।
इतना ही नहीं कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया है कि नियमित कर्मचारियों को तो समय पर वेतन मिल जाता है लेकिन दैनिक वेतन भोगियों को महीनों तक वेतन के लिए भटकना पड़ता है। आखिरकार मजबूर होकर सफाई कर्मियों और वेतन भोगियों को हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा। लेकिन प्रशासन अब भी इनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है अगर जल्द से जल्द इन कर्मियों की मांग ना सुनी गई तो शहर में साफ-सफाई व अन्य विभागों की व्यवस्था और भी बिगड़ सकती है।