व्यवस्था तो अक्सर बना दी जाति हैं लेकिन जब बात उन पर अमल करने की आती है तो अक्सर प्रशासन पीछे रह जाता है। उसी प्रकार राज्य में सीएम हेल्पलाइन की एक सुविधा बनाई गई है जिस पर शिकायत दर्ज की जाती है लेकिन इस व्यवस्था का हाल कुछ ऐसा है की शिकायत दर्ज कराने पर भी लोगों की सुनवाई नही हो रही है
लापरवाही इतनी बढ़ चुकी है की अब अधिकारी इन शिकायतों को देखते भी नही इनका निराकरण तो दूर की बात है। जुलाई माह की ग्रेडिंग में जिला प्रदेष स्तर पर 13वें स्थान पर था और हाल ही में जारी अगस्त माह की ग्रेडिंग में प्रदेष 40वें स्थान पर पहुंच गया है।
1 महीने पहले जिला सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों के निराकरण में बी ग्रेड में था और इस माह ये सी ग्रेड में पहुंच गया है। जो ग्रेडिंग अगस्त माह के लिए जारी की गई है उसके अनुसार 4868 शिकायतों में से 18 फीसदी को आधिकारियों ने देखा तक नही।
अनअटेंड होकर भी ये शिकायतें अगले स्तर पर पहुंच गई। 100 दिनों से अधिक समय से छह फीसदी अधिक शिकायतें लंबित हैं। पिछले माह केवल 30 फीसदी शिकायतों का संतुष्टिपूर्ण निराकरण हो पाया है।
और 10 फीसदी शिकायतों को जबरदस्ती बंद करवा दिया। सबसे ज्यादा शिकायत राजस्व, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की लंबित हैं।
कलेक्टरआधिकारियौं को हर बैठक में सीएम हेल्पलाइन की चली आ रही शिकायतौं को समय सीमा में निराकरण करने के निर्देश दिए जाते हैं लेकिन आधिकारियों की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नही दिखता जिसके कारण आम नागरिकों को सीएम हेल्पलाइन का फायदा होता नजर नहीं आरहा है|