मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को दुकानों की नीलामी की सारी तयारियाँ हो चुकी थी , लेकिन ऐन मौके पर बोली निरस्त कर दी गई। काफी देर तक इस बात को लेकर हंगामा होता रहा जिसको देख पुलिस प्रशासन को बुलाना पड़ा और तब जा कर के स्थिति को संभाल कर लोगों को शांत कराया गया।
यह नीलामी कॉलेज परिसर में स्थित 9 दुकानों को किराए में देने के लिए की जा रही थी। और इस नीलामी के तहत बोली लगाने के लिए बड़ी तादाद में लोगों को बुलाया गया था। इस नीलामी के लिए काफी वक्त पहले से एक विज्ञापन जारी किया गया था। इस नीलामी के लिए 16 सितंबर तक प्रबंधन की और से आवेदन आमंत्रित किए गए थे।
17 सितंबर की सुबह आवेदनकर्ता सुबह साढ़े 11 बजे से नालामी के लिए पहुंच गए थे। बोली शुरू होने से कुछ समय पश्चात बोली डीन द्वारा निरस्त कर दी गई। जिसके चलते लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया।
दुकानों के ये आवंटन के लिए पिछले एक वर्ष से फाइल चल रही थी। काफी समय तक प्रक्रिया तय नही की गई, और जब आखिरकार कर ली गई तब फाइल कमिशनर ऑफिस में पड़ी रही। तब तत्कालीन कमिशनर नरेश पाल ने कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर निराकरण करने के निर्देश दिए।
अगस्त माह में जा कर के नीलामी प्रक्रिया का निर्णय लिया गया। तीन पेज लंबा चौड़े के नियम व शर्तें तय कर दी गई। इतनी मुश्कतौं के बाद नीलामी को निरस्त करना किसी को भा नही रहा है।
लोगों ने जब यह जानना चाहा कि आखिर क्यों अचानक नीलामी निरस्त कर दी गई तो उन्हे प्रबंधन की ओर से कोई संतुष्टिपूर्ण जानकारी नही मिली। जिसके बाद लोग काफी ज्यादा आक्रोशित हो गए। १००० से अधिक आवेदन के साथ ५० हज़ार का DD जमा कराया गया। एक साल से रुका हुआ ये नीलामी का काम जब निराकरण के आदेश से शुरू कर दिया जाना था तब इस काम को निरस्त किया जाता है। लोगों द्वारा आरोप ये लगाया जा रहा है की कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए यह सब किया गया है।