17 सितंबर को शहडोल जिले में टीकाकरण महा अभियान का आयोजन किया गया। इसके तहत जिले की बची हुई 10 फ़ीसदी आबादी को भी वैक्सीन की खुराक देने का लक्ष्य तय किया गया था। इस अभियान के तहत जिले में 121 टीकाकरण केंद्र बनाए गए थे जिनमें 20000 लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य तय किया गया था। जानकारी के मुताबिक शाम के चार बजे तक 15000 लोगों को टीका लगाया जा चुका था।
लेकिन प्रशासन द्वारा जहां टीकाकरण के लिए सख्ती दिखाई जा रही थी, वहीं लोगों द्वारा कोरोना नियमों के पालन में लापरवाही बरती जा रही थी। लोग भारी संख्या में वैक्सीन लगवाने वैक्सीन सेंटर पर पहुंचे पर वहां ना तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा था न ही लोगों ने मास्क लगाकर रखा था।
लोग इतनी ज्यादा संख्या में टीका लगवाने पहुंच रहे थे कि उन्हें नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की कोशिश भी कम पड़ रही थी। स्वास्थ्य कर्मियों ने शासकीय अधिकारियों को इस विषय में शिकायत भेजी तब कहीं जाकर भीड़ को नियंत्रित किया जा सका।
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भी टीकाकरण अभियान में गड़बड़ियां सामने आई हैं। दो दर्जन से ज्यादा वैक्सीनेशन सेंटर में पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन नहीं भेजी गई थी। जो दो चार घंटों में ही खत्म हो गई। लोगों की शिकायत पर जिला मुख्यालय द्वारा दोबारा वैक्सीन भेजी गई।
टीकाकरण के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया था। यहां तक कि जिले के अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा खुद वैक्सीन सेंटर पर जाकर स्थिति का जायजा ले रहे थे।
अपर कलेक्टर ने शहडोल के मानस भवन, महात्मा गांधी स्टेडियम, न्यू बस स्टैंड, आंगनवाड़ी के वैक्सीनेशन सेंटर का जायजा लिया और स्वास्थ्य कर्मियों को निर्देशित किया।
अपर कलेक्टर द्वारा लोगों से भी कोरोना गाइडलाइन का पालन करने को कहा गया। लोगों से बात करते हुए अपर कलेक्टर ने कहा कि टीका ही एक ऐसा अस्त्र है जो हमें करोना महामारी से बचा सकता है। इसलिए सभी को जल्द से जल्द टीके की खुराक लगवानी चाहिए साथ ही मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग अनिवार्य रूप से करना चाहिए।
प्रशासन द्वारा टीकाकरण अभियान के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय है। उम्मीद है इस तरह के प्रयासों से जल्द ही शहडोल जिला पूरी तरह वैक्सीनेटेड हो पाएगा और कोरोना मुक्त हो सकेगा।