10 सितंबर से 13 सितंबर के बीच एसडीएम कोतमा ऋषि सिंघई के घर में रखी अलमारी से उनकी पत्नी के दो सोने के हार चोरी हो गए थे। जिसके बाद 15 सितंबर को उनके द्वारा एक लिखित शिकायत दर्ज कराई गई थी।
इस चोरी के चलते एसडीएम द्वारा उनके घर में काम करने वाले सनी पर शक जताया जिसके बाद पुलिस की लगातार पूछताछ सनी से होती रही जिसको देख 19 सितंबर को सनी ने एक बड़ा कदम उठाकर खुदकुशी करने का प्रयास किया जिसको परिजनों ने देख कर उससे फंदे से नीचे उतार दिया।
इस हादसे के बाद सनी के परिजन और पड़ोसी एसडीएम के विरुद्ध नारेबाजी करने लगे और धरने पर बैठ गए, जिस कारणवश थाने में बहुत हंगामा हुआ। घटना के सामने आते ही एसडीएम द्वारा चोरों के विरूद्ध धारा 380 के तहत मामला दर्ज कराया गया। कुछ जानकारी लेने के बाद पुलिस चोरों के विरूद्ध जांच में जुट गई है।
आक्रोशित सनी के परिजनों ने 19 सितंबर को एसडीएम के विरूद्ध आत्महत्या के दुष्प्रेरण का एक लिखित मामला थाने में दर्ज कराया है। जिसका कारण वह एसडीएम द्वारा की गई प्रताड़ना जिसके चलते सनी ने तंग आकर आत्महत्या का प्रयास करने को बताते हैं।
अब सवाल उठता है पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही जांच पड़ताल की ओर, जिस प्रकार कोतमा पुलिस टीम द्वारा सनी को लगातार थाने में आने का दबाव दिया जा रहा था और इतना ही नहीं बल्कि उसके घर में जा कर लगातार पूछ ताछ की जा रही थी, कहाँ तक संभव है इस प्रकार का वयवहार? वो भी ऐसे व्यक्ति के साथ जिसका गुनेहगार होने का कोई सबूत तक न हो।
और बिना किसी वारंट के सनी की बेहेन के ससुराल शहडोल में शहडोल पुलिस का घुस जाना और घर के सामानो का उलट-पुलट करदेना, सनी की बेहेन का कहना है की पुलिस ने चावल के कंटेनर को जमीन पर उलट दिया, सारे सामानो को बिखेर दिया। जबकि सनी की बहेन कोतमा से १२२ किलोमीटर दूर शहडोल में रहती है काफी समय से सनी से मिली भी नहीं थी।
आखिर पुलिस की मनमानी कब तक चलती रहेगी बिना सर्च वारंट के घर में धमका कर घुस जाना, क्या यह क़ानून के खिलाफ नहीं है? सनी की बहेन की और उसके ससुराल वालों की बेइज्जती और शहडोल पुलिस द्वारा प्रताड़ित करने पर ही सनी ने आत्माहत्या करने का प्रयास किया।
जिस प्रकार एक बड़ा फैसला लेकर सनी द्वारा खुदखुशी की कोशिश की गयी वो निश्चय ही पुलिस प्रशासन की जांच पड़ताल और रवैय्ये पर सवाल खड़ा करता है।
उम्मीद यही होगी की पुलिस इस मामल में निष्पक्ष और क़ानून के दायरे में रहकर जांच करे और बजाय निर्दोष के उसे पकड़ने में अपना बल दिखाए जो असल में दोषी हो या उसके खिलाफ कमसेकम कोई सबूत हो।