आज भी देश में कई इलाके ऐसे हैं जहां के गांव तक न तो सड़क पहुंच सकी हैं न ही नदी नालों पर पुल बनाए गए हैं। बरसात के दिनों में तो स्थिति यहां तक पहुंच जाती है कि कई गांव पूरी तरह से कट जाते हैं। नदी नाले बरसात में उफान पर होते हैं और इन नदी नालों पर न तो कोई पुल होते हैं न इन्हें पार करने की व्यवस्था।
शहडोल जिले के केशवाही क्षेत्र के कई गांवों का भी यही हाल है। बीते दिन यहां सामने आई घटना ने शासन को शर्मसार कर दिया है। एक गर्भवती महिलाओं को अपना रूटीन चेकअप कराने के लिए बरसाती नाले को पैदल पार करके अस्पताल जाना पड़ा।
जानकारी है कि छिनमार गांव की रहने वाली सीमा केरकेट्टा को 9 माह का गर्भ है। सीमा को सोमवार को अपने रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल जाना था। छिनमार गांव से केशवाही के अस्पताल की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। लेकिन इस मार्ग पर न तो अच्छी सड़क है न नदी नालों पर पुलों का निर्माण किया गया है।
पुल और सड़क न होने से बरसात में छिनमार गांव पूरी तरह कट जाता है। गांव की आशा कार्यकर्ता ने किसी तरह सीमा को गांव के बाहर गोड़हरी नाला तक पहुंचा दिया लेकिन नाला पार करने की कोई व्यवस्था नहीं थी। इस कारण सीमा और आशा कार्यकर्ता को पैदल घुटनों तक डूब कर नाला पार करना पड़ा। यदि पैर फिसलने या नाले में बह जाने से कोई दुर्घटना हो जाती तो इसकी जवाबदारी कौन लेता ?
प्रशासन द्वारा लगातार सड़क निर्माण आदि की योजनाएं लाई जाती हैं और दो-चार दिन खबरों में रहकर फिर उन्हें कचरे में डाल दिया जाता है। स्थिति वही बनी रहती है। लोगों को नदी नाले को तैर कर पार करना पड़ता है। कभी-कभी तो स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि मरीज को खाट पर लिटाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।
यहां के स्थानीय नेता भी इस विषय पर कोई ध्यान नहीं देते हैं और लोगों की परेशानियां ज्यों की त्यों बनी रहती हैं। प्रशासन को चाहिए कि प्रत्येक गांव तक अच्छी सड़क और पुलों का निर्माण कराया जाए ताकि आवाजाही में किसी प्रकार की परेशानी लोगों को न झेलनी पड़े।