शहडोल शहर की हर सड़क पर आवारा पशु और मवेशी घूमते हुए दिख जाते हैं। इन मवेशियों ने शहर की मुख्य सड़कों को अपना अड्डा बना लिया है, बीच सड़कों पर यह बैठे और लेटे हुए दिख जाते हैं। इस कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
बीच सड़क में गायों और भैंसों के बैठने से भारी जाम लग जाता है और लोगों को आवाजाही में परेशानी होती है। वहीं सड़कों पर गंदगी और गोबर से भी बदबू और बीमारियों की संभावना बनी रहती है।
इस कारण अक्सर दुर्घटनाएं भी सामने आती हैं और मवेशियों की जान भी खतरे में रहती है।
ऐसी परिस्थिति में लोग प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं कि लाखों रुपए की लागत से बनाई गई गौशालाओं का इस्तेमाल किस रूप में हो रहा है! जब आवारा पशु मुख्य सड़कों पर घूम रहे हैं और गंदगी फैला रहे हैं तो इन गौशालाओं को बनवाने का क्या लाभ है?
शहडोल में अब तक कुल 7 गौशालाओं का संचालन शुरू हो चुका है लेकिन इसके बाद भी आवारा पशुओं और गायों को गौशालाओं में नहीं भेजा जा रहा है। गौशालाएं भी प्रशासन की अनदेखी से बदतर हालत को पहुंच चुकी हैं।
शहडोल नगर पालिका द्वारा आवारा पशुओं को पकड़ कर शहरी इलाके से दूर ले जाने की भी योजना बनाई गई थी लेकिन इस पर भी कोई अमल होता हुआ नहीं दिख रहा है।
शहर की सड़कों पर घूमने वाली गायों और आवारा पशुओं को गौशाला व शहर के बाहरी इलाके में शिफ्ट किया जा सकता है लेकिन प्रशासन इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है और लोगों की परेशानियां अब भी बनी हुई हैं।
बीच सड़क में मवेशियों के बैठने से रात में अक्सर दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। स्थानीय लोगों द्वारा कई बार नगर पालिका से इस संबंध में शिकायत की गई लेकिन इस पर कोई कार्यवाही न हो सकी, नगर पालिका प्रशासन द्वारा इस मामले पर गंभीरता से विचार किए जाने की आवश्यकता है ताकि लोगों को इस समस्या से निजात मिल सके।