आंगनवाड़ी छोटे बच्चों की पोषण, स्वास्थय और शिक्षा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवाएँ के कार्यक्रम के रूप में ग्राम स्तर पर सरकार द्वारा समर्थित एक केंद्र है, जिसमे छोटे बच्चों की ज़रूरतों तथा देखभाल के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है।
इस कारण भारतीय श्रम सम्मलेन के अनुशंसा के आधार पर समस्त आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने सरकारी कर्मचारी का दर्ज़ा दिए जाने की मांग की।
सीएम के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
मामला शहडोल जिले का है जहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका यूनियन एटक की देख-रेख में शुक्रवार को एक जुलूस निकला गया। इसके बाद इन कार्यकर्ता और सहायिका ने सीएम के नाम एसडीएम को एक ज्ञापन भी सौंपा जिसमे उन्होंने खुदको सरकारी कर्मचारी का दर्ज़ा देने की मांग की।
साथ ही उनकी मांग है कि रिटायरमेंट के बाद एक लाख रूपए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को और 75 हज़ार सहायिका को एक मुश्त राशि के तौर पर दिया जाये। और रिटायरमेंट के बाद दस हज़ार रूपए प्रति महीना पेंशन के रूप में भी प्रदान की जाये।
उनकी मांगे बस यही नहीं थी। उन्होंने कहा कि जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कोरोना वायरस के कारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा उन्हें 50 लाख रूपए की बीमा राशि का भुगतान किया जाए। साथ ही बैठकों में आने जाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को यात्रा के दौरान होने वाले खर्चे की राशि भी दी जाये।
आंदोलन में शामिल हुए कई कार्यकर्ता एवं सहायिका
आंदोलन में कामरेड विभा पांडे, गीता मिश्रा, प्रेमलता मिश्रा, मीना गुप्ता, मीरा यादव, मनिया सिंह, बीना तिवारी, चंद्रपति साहू, ममता द्विवेदी, सुजाता श्रीवास्तव, स्मृति तिवारी, शिप्रा सोनी आदि शामिल रहे।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बाल विकास व गर्भवती महिलाओं की हर ज़रूरत पूरा करने के लिए बहुत कुछ करती है जिससे आखिर में देश का ही भला होता है। तो सरकार को इनकी इन मांगो के लिए भी कुछ करने की आवश्यकता है। आशा है कि सरकार द्वारा इस विषय पर जल्द ही कोई प्रशंसाजनक कदम उठाया जायगा।