जैसा नाम बिल्कुल उसके विपरीत काम, एक केस सामने निकल करके आया है जहां करोना के बढ़ते प्रकोप के संकट में अनूपपुर के जैतहरी अमरकंटक मार्ग पर एक 10 बिस्तरों वाला अस्पताल खुला नाम,आस्था।
इस अस्पताल के संचालन के लिए निजी भवन को किराए पर लिया गया था। अभी केवल 8 महीने के समय के अंतर्गत अस्पताल संचालक विपेंद्र सिंह बघेल ने लोगों को अस्पताल में निवेश व मुनाफे के नाम पर ठगते हुए 60 लाख रुपए ऐंठ लिए।
पूंजी का निवेश करते समय एकदम तरीके से शपथ पत्र पर अनुबंध भी करवाया था लेकिन उसके बाद सितंबर महीने में अचानक अस्पताल बंद पड़ जाता है और वहां काम कर रहे कर्मचारियों का भी कोई पता नही है।
जब विपेंद्र सिंह से का पता लगाने के लिए उनके नंबर पर कॉल किया गया तो वो भी बंद पाया गया। इसके बाद 8 पीड़ितों द्वारा ठगे जाने की पोलिस थाने में शिक़ायत दर्ज करवाई गई और शिकायत पर कारवाई की मांग की गई है।
इस अस्पताल में एक चिकित्सक के रूप में नागपुर में कार्यरत डॉक्टर एमएस नागले को 3 लाख रुपए प्रति माह के वेतन पर वहां से आस्था अस्पताल बुलाया गया। वेतन की जब बात आई तो उन्हे 1 लाख 70 हज़र रुपए दिए गए, शेष रकम की मांग जब डॉक्टर ने जताई तो उन्हे खाते में रुपए डालने की बात कह कर बात को टाला जा रहा था। इसी तरह अस्पताल में कार्यरत कर्मचारी नितिन डेनियल को भी वेतन भुगतान के नाम पर एक चेक पकड़ा दिया और जब यह चेक नितिन द्वारा बैंक में लेजाया गया तो चेक बाउंस हो गया।
केवल स्थानीय निवेशक, डॉक्टर और कर्मचारी को नही ठगा गया है बल्कि शहडोल जिले के बुढार में परमहंस चिकित्सालय के डॉक्टर भी हुए हैं जिनसे 5 लाख रुपए की लागत वाली ऑपरेशन थियेटर में इस्तेमाल के लिए 1 महीने का बोलकर ली गई थी लेकिन वापस करने के मौके पर संचालक फरार पाया गया। चिकित्सासालय में वाहन का भी भुगतान नही किया गया है।
जांच पड़ताल के बाद यह भी सामने निकल करके आया की विपेंद्र सिंह के पास तीन आधार कार्ड मौजूद थे। विपेंद्र सिंह पर धोकाधड़ी का मामला दर्ज कराने की मांग भी की जा रही है।
इस मामले में पुलिस प्रशासन का कहना है की विपेंद् सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज की गई है और पूरे मामले में एसडीओपी अनूपपुर के द्वारा जांच करवाई जा रही है। जांच के पश्चात इस मामले में कारवाई की जाएगी।