एनएच 43 शहडोल के करीब घुनघुटी में विकास के नाम पर धजियां उड़ती नज़र आने लगी है। करोना के कारण भौतिक अध्यापन कार्य बंद होने की वजह से, पूरे कैंपस की हालत अब बतर हो गई है।
साफ-सफाई, शैक्षिक व्यवस्था का माहौल बनाने के उद्देश्य से इस बार स्कूल खोले गए थे लेकीन बिना कोई साफ सफ़ई के ही कक्षाएं संचालित कर दी गईं। इन हालातों में विद्यार्थी मजबूर है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आस पास के कई सारे बच्चे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय घनघुटी आते है।
यहां 1से 8 तक के लिए माध्यमिक शाला परिसर के साथ ही हाई और हायर सेक्स सेकेंडरी भवन बना है। 5 साल पूर्व बने ये हाई स्कूल देखरेख के आभाव से अभी भी वंचित हैं। न इनमे खिड़की है, न दरवाजे और साथ ही भवन के साथ बड़ी बड़ी घासों का अंबार लगा हुआ है।
हालत इतनी बेकार हो गई है की अब इन बच्चों को कन्या शिक्षा परिसर में शिफ्ट किया गया है और माध्यमिक शाला को चौराहे के नजदीक वाले छात्रावास में। इन विद्यार्थियों के लिए केवल सात शिक्षक ही पदस्थ हैं।
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के द्वारा स्कूल संचालन के पूर्व पानी, बिजली, और भवन मरम्मत के लिए आदेश जारी कर दिए गए थे लकिन कोई असर करता नजर नही आ रहा है।
हर माह अध्यापन कार्य करने के लिए शासन द्वारा शिक्षक व संस्था प्रभारियों की मांगो को पूरा करने के लिए बजट तय किया जाता है बावजूद इसके करोना के समय यहां कोई साफ सफाई व रखरखाव का काम आयोजित नही किया गया। अब इन हालातों के चलते छात्रों के अभिभावक उग्र हो चुके हैं।
उनका कहना है की बच्चों को लंबा रास्ता तय कर आना पड़ता है जहां बारिश के कारण जल का जमावड़ा रहता है, आवागमन करते समय वो गिर जाया करते हैं। प्राचार्य पुष्पा सिंह का कहना है की कई बार सूचना प्रदान करने पर भी कोई हल नही निकाला गया।
प्रशासन द्वारा जब इस संबंध में पूछा गया तो डीईओ उमरिया उमेश धुरवेत ने बताया की निर्देश दिए जा चुके हैं और वह कार्य घुनघुटी विभाग के अंतर्गत आता है। उम्मीद यही होगी की जल्द से जल्द इस ओर प्रशासन ध्यान दे और मूलभुत सुविधा को विद्यार्थियों से रूबरू होने दें।