धनपुरी के एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र की खदानों में काम करने वाले मजदूरों की हालत बद से बदतर होती जा रही है।
इन खदानों से कोयला और लोहा निकालकर कंपनियां तो मालामाल हो गईं लेकिन इन में काम करने वाले श्रमिक और कर्मचारी जो खून पसीना एक करके कोयला और लोहा निकालते हैं उनका सामान्य जीवन जी पाना भी मुश्किल हो रहा है।
इन श्रमवीरों की आवश्यकताओं और सुविधाओं की सुध लेने वाला कोई नहीं है। राष्ट्रीय विकास और अर्थव्यवस्था में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले श्रमिक गंदगी, कीचड़ और अंधेरे में जिंदगी बिताने को मजबूर हैं।
श्रमिक कालोनियों में न तो अच्छी सड़कें हैं न नालियां और न साफ सफाई के इंतजाम। खैरहा खदान के लगभग डेढ़ किलोमीटर के पहुंच मार्ग की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि यहां पैदल चलना तक मुश्किल है।
सड़क में बिजली के खंभे और लाइट की व्यवस्था न होने से नाइट शिफ्ट करने वाले लोग सड़क के गड्ढे में गिरते-पड़ते खदान तक पहुंचते हैं।
कभी-कभी तो जहरीले जंतुओं से भी इनका सामना हो जाता है और जान पर बन आती है। इन मजदूरों के लिए सुरक्षित वातावरण और सुविधाएं उपलब्ध कराना एसईसीएल कंपनी की जिम्मेदारी है लेकिन कंपनी अपनी सारी जिम्मेदारियां केवल कागजों पर ही निभा रही है, जमीन पर उसका कोई काम होता नहीं दिख रहा।
दिखावे के लिए कंपनी कल्याण बोर्ड या अन्य कमेटियों की टीम कॉलोनियों का जायजा करके चली जाती हैं और कार्यवाही पूरी हो जाती है। श्रमिकों की समस्याएं जस की तस बनी रहती हैं। सुरक्षा के नाम पर भी प्रबंधन द्वारा मजाक किया जा रहा है खदान में काम करने वाले मजदूरों को न तो सुरक्षित उपकरण दिए गए हैं न ही सुविधाजनक वातावरण।
इन भ्रष्टाचारी कंपनियों के खिलाफ न तो कोई एक्शन लिया जाता है न ही कोई अखबार इनके विरुद्ध कोई एक लिखता है। पुलिस विभाग द्वारा भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती। प्रशासनभी इन लापरवाही पर कोई ध्यान नहीं देता है।
खदानों में काम करने वाले ये श्रमिक दिन रात मेहनत करके, पसीना बहा कर कोयला निकालते हैं। प्रबंधन को भी चाहिए कि वह श्रम वीरों का सम्मान करे और इन्हें सुरक्षित वातावरण और सर्व सुविधाएं उपलब्ध कराए।