शहडोल जिले में ओरियंट पेपर मिल के द्वारा देश का पहला कलर रिमूवल प्लांट स्थापित किया गया है। इस प्लांट की कुल लागत साढ़े चार करोड रुपए बताई जा रही है।
इस कलर रिमूवल प्लांट का निर्माण कार्य 2020 में शुरू हुआ था और एक ही साल में पूरा कर लिया गया है। पेपर निर्माण की बात करें तो एक टन पेपर के निर्माण में 50 घन मीटर पानी का उपयोग किया जाता है और इसमें से 40 घन मीटर दूषित पानी निकलता है, लेकिन अब इस प्लांट के लग जाने से इस दूषित पानी का स्थाई समाधान खोज लिया गया है।
सोन नदी में बढ़ रहे जल प्रदूषण को देखते हुए 2014 में ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पारंपरिक पेपर निर्माण मिलों पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन अब इस प्लांट के लग जाने से जल प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सकता है।
इस प्लांट की स्थापना से क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमियों में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है। इस तरह का यह देश का पहला प्लांट है जो पेपर निर्माण से पैदा हुए प्रदूषित जल का विकल्प खोजता है। यह प्लांट मुंबई की ईफ्फा इंफ्रा एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा तैयार किया गया है।
जानकारों ने बताया कि पेपर निर्माण की प्रक्रिया के दौरान प्रदूषित जल में लैग्निन व क्रोमोफोरिक के डेरिवेटिव होते हैं। इन सभी हानिकारक पदार्थों के उपचार के लिए फेरिक एलम और फ्लाईएस के जमाव आदि जटिल प्रक्रिया का इस्तेमाल होता है।
इतना ही नहीं, इस प्लांट में 55 मेगा वाट विद्युत उत्पादन क्षमता का कैपटिव पावर प्लांट भी है जिससे मिल की बिजली संबंधी जरूरतें भी पूरी हो सकेंगी। यह कलर रिमूवल प्लांट लगभग 108 एमएलडी प्रदूषित जल के उपचार की क्षमता रखता है।
प्लांट के शुभारंभ के मौके पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा, ओरियंट पेपर मिल के वाइस प्रेसिडेंट आलोक श्रीवास्तव सहित अन्य लोग भी उपस्थित रहे।
इस तरह के कलर रिमूवल प्लांट जल प्रदूषण को रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं। जरूरत है कि इस तरह के प्लांट को पारंपरिक पेपर मिलों से स्थानांतरित किया जाना चाहिए ताकि पेपर मिल से होने वाले जल प्रदूषण में कमी लाई जा सके।