ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए पंचायती राज का गठन किया गया था लेकिन यह ग्रामीण इकाई किस तरह खोखली और भ्रष्ट हो चुकी है इसकी बानगी इस मामले में देखी जा सकती है।
पंचायत के सचिव और सरपंच द्वारा अपने रिश्तेदारों और संबंधियों के नाम फर्म में जोड़ कर सरकारी योजनाओं के पैसे को लूटा जा रहा है।
शहडोल के जयसिंहनगर जनपद के जमुनिहा ग्राम पंचायत में भी इसी तरह का एक केस सामने आया है। बताया जा रहा है कि चतुर्वेदी ट्रैवल्स नामक फर्म के संचालक आशीष चतुर्वेदी ने अपने चाचा के सचिव होने का भरपूर फायदा उठाया है।
सरकारी मशीनरी की मदद से कई ग्राम पंचायतों के बिल बनाए गए और उसकी राशि अपने खाते में जमा करा दी गई। अपने रिश्तेदारों के नाम से फर्म बनाने से जनपद के लिपिक, सरपंच, सचिव, उपयंत्री सब फायदा उठाते हैं।
मनरेगा व पंच परमेश्वर जैसी सरकारी योजनाओं में सांठगांठ करके निर्माण कार्य की सप्लाई का भुगतान वे खुद ले लेते हैं और भ्रष्टाचार करके गलत आंकड़े दिखा दिये जाते हैं। संबंधियों द्वारा इस तरह के फर्जी और नकली बिल तैयार कराकर हर साल सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि इस पूरे घोटाले की जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को न हो लेकिन वे देख कर भी स्थिति को अनदेखा कर देते हैं और प्रशासन की नाक के नीचे से यह घोटाला चलता रहता है। इस तरह का करप्शन लंबे समय से चला आ रहा है।
इसी को देखते हुए 2015 में सरकार ने सचिवों और पंचायतों को अपने संबंधियों के नाम से इस तरह की फर्म बनाने के खिलाफ कानून पारित किया था इसके बावजूद भी जमुनिहा की इस ग्राम पंचायत में कानून की अनदेखी करके लगातार नकली बिल बनाए जा रहे हैं और सरकारी योजनाओं को लूटा जा रहा है।
अधिकारियों व विभागों की मिलीभगत से सरकार के पैसा से अपनी जेबें भरी जा रही हैं और योजनाएं जनता तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इसका नुकसान केवल गरीब आदमी उठा रहा है।
प्रशासन सब कुछ जानते और देखते हुए भी कोई कार्यवाही करने से परहेज कर रहा है। अधिकारियों को चाहिए कि इस तरह के घोटालों की जमीनी स्तर पर जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।