उमरिया के सीएमएचओ ऑफिस में डिस्ट्रिक्ट कम्युनिटी मोबिलाइजर (डीसीएम) के पद पर काम करने वाली निधि अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने आशा कार्यकर्ता से रिश्वत की मांग की थी। इस पर कार्यवाही करते हुए कलेक्टर ऑफिस ने तत्काल प्रभाव से निधि अग्रवाल को शाखा से पृथक कर दिया है और उनका ऑफिस भी सील कर दिया है।
मानपुर विकासखंड की आशा कार्यकर्ता श्रीमती सरोज प्रजापति ने बताया कि डीसीएम निधि अग्रवाल ने कलेक्टर कार्यालय के नाम से पचास हजार रुपए की मांग की थी। एक ऑडियो टेप के जरिए इस बात का खुलासा हुआ है। आशा कार्यकर्ता सरोज प्रजापति जॉइनिंग से संबंधित शिकायत को लेकर डीसीएम निधि अग्रवाल के पास गई हुई थी। किसी अखिलेश नामक युवक द्वारा जनसुनवाई व डीसीएम के समक्ष शिकायत की बात की गई थी। श्रीमती सरोज प्रजापति की रिज्वोइनिंग को लेकर डीसीएम द्वारा 50000 रुपए की मांग की गई थी।
सीएमएचओ में डीसीएम के पद पर काम करने वाले अधिकारी का कार्य आशा व ऊर्जा कार्यकर्ताओं के साथ विभागीय कार्य में समन्वय बिठाना होता है। डीसीएम निधि अग्रवाल की उमरिया जिले में कुछ साल पहले संविदा भर्ती हुई थी। रिश्वत लेने के मामले के सामने आने के बाद कलेक्टर ऑफिस द्वारा इस पर कार्यवाही करते हुए डीसीएम के ऑफिस को सील कर दिया गया है और जांच के लिए एक टीम गठित की गई है।
उमरिया के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि डीसीएम निधि अग्रवाल को उनके कार्य व शाखा के प्रभाव से अलग कर दिया गया है, साथ ही जांच कमेटी द्वारा मामले की जांच की जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
डीसीएम द्वारा आशा व ऊर्जा कार्यकर्ता जैसे छोटे पद पर काम करने वाले लोगों से भी इतनी भारी-भरकम रकम वसूल करने की मांग की जाती है तब बड़े-बड़े पदों पर बैठने वाले अधिकारी कितने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करते होंगे इसका अंदाजा साफ लगाया जा सकता है। सरकारी पदों का दुरुपयोग और निरंकुशता के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। सरकार को सख्त कानून पारित कर इस तरह की आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने की आवश्यकता है।