ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार देने और मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार एक्ट (मनरेगा) लाया गया था, जिसके तहत ग्रामीणों को साल में कम से कम 100 दिन रोजगार की गारंटी दी जाती है।
लेकिन पंचायत कर्मियों द्वारा पिछले कई वर्षों से नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और ग्रामीणों को रोजगार देने की जगह मशीनों से ही काम कराया जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि फर्जी मस्टररोल भरकर मजदूरों के नाम आई राशि का आहरण किया जा रहा है।
ग्राम पंचायत कुबरा में सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक ने मिलकर मनरेगा के तहत ऐसे मजदूरों के फर्जी नाम भर दिए हैं जिन्होंने कभी काम किया ही नहीं। ये पंचायत कर्मी उनके खाते में आई राशि को हड़प कर लेते हैं और जो वास्तव में रोजगार चाहता है वह यूं ही भटकता रहता है। कुबरा के सचिव, उपयंत्री, रोजगार सहायक के गठजोड़ ने इस तरह के कई कारनामों को अंजाम दिया है।
जहां योजना के तहत ग्रामीणों को रोजगार देना सुनिश्चित किया गया था वही ये पंचायत कर्मी मशीनों से काम ले रहे हैं ताकि निर्माण कार्य की लागत कम आए और लागत का बचा हुए पैसों से वे अपनी जेब भर सकें। गांव में लघु तालाब, मीनाक्षी तालाब, मेढ़ निर्माण जैसे अनेक मनरेगा के कार्य संचालित हैं जिनमें मजदूरों की जगह मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है जो कि पूर्णता गैरकानूनी है।
इतना ही नहीं बल्कि निर्माण कार्य में घटिया क्वालिटी के समान का इस्तेमाल हो रहा है और बचत के पैसे हड़पे जा रहे हैं। गांव में पंचायत कर्मी के इस गठजोड़ ने इस तरह के कई फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार किए हैं।
बीते दिनों अपने रिश्तेदार के नाम से फर्म बनाकर पैसा हड़पने का मामला भी अनूपपुर में सामने आया था। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत कर्मियों द्वारा लगातार सरकारी योजनाओं में धांधली की जा रही है और जरूरतमंद लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों ने मामले की जांच की जाने की भी मांग की है।