27 अगस्त को लगभग 39 हाथियों का एक दल छत्तीसगढ़ के जंगलों से मध्यप्रदेश के कोतमा जंगलों में दाखिल हुआ था और तब से लेकर अब तक इन हाथियों ने कई गांव में आतंक मचा कर रखा है। 8 दिन बाद भी हाथियों का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है।
4 अक्टूबर को एक बार फिर से शाम चार बजे हाथियों का दल महानीम लक्ष्मण बांध के जंगलों से होता हुआ बिछली टोला गांव पहुंच गया। इसके पहले 3 अक्टूबर की रात को हाथियों ने लगभग 20 किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया था। जैसे ही बिछली टोला गांव में हाथियों के दाखिल होने की खबर सामने आई वैसे ही गांव वासियों ने वन विभाग को सूचित किया।
बिछली गांव के रहने वाले लोग जंगल से लगभग 100 मीटर की दूरी पर अपने मकान बनाकर रह रहे थे लेकिन हाथियों ने गांव में प्रवेश कर कई मकानों की दीवारों को तोड़ डाला। वन विभाग ने ग्रामीणों को पक्के मकानों के छतों पर रहने की सलाह दी है और कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। हाथियों के आतंक से सारे गांववासी परेशान हैं और रात-रात भर जागने को मजबूर हो रहे हैं।
रात भर आतंक मचाने के बाद हाथियों का दल 4 अक्टूबर को फिर से जंगलों में चला गया। 4 अक्टूबर की सुबह राजस्व एवं वन विभाग की टीम ने गांव का सर्वे किया और नुकसान का जायजा लिया। लेकिन वन विभाग के माध्यम से फिर से खबर मिली कि 4 अक्टूबर की शाम को हाथियों ने गांव में फिर से हमला कर दिया।
इस पूरे मामले में कोतमा के तहसीलदार मनीष शुक्ला का कहना है कि हाथियों की निगरानी की जा रही है और सैतिनचुआ व बिछली टोला गांव में हाथियों द्वारा पहुंचाए गए नुकसान का जायजा लिया जा रहा है। जल्द से जल्द लोगों को हुए नुकसान की भुगतान कराया जाएगा।
हैरत की बात है कि 8 दिन बीत जाने के बाद भी वन विभाग इन हाथियों की मोनिटरिंग नहीं कर पा रहा है और लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। उम्मीद है वन विभाग जल्द से जल्द इन हाथियों को जंगलों में सुरक्षित पहुंचाए ताकि आगे से लोगों को इस तरह का नुकसान न झेलना पड़े।