शहडोल जिले के कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय में एक के बाद एक ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जिससे स्वास्थ्य विभाग की बदइंतजामी जाहिर हो रही है। पहले अस्पताल की छत का गिरना, फिर मेडिकल वेस्ट को खुले में जलाया जाना और अब इस घटना ने अस्पताल प्रबंधन पर कई प्रकार के सवाल उठा दिए हैं।
यहां एक मृतक की लाश को मरच्युरी कक्ष तक ले जाने के लिए स्ट्रैचर तक उपलब्ध नहीं हो सका। मृतक के परिजनों को लाश को हाथों से उठाकर ले जाना पड़ा।
बीते दिन एक एक्सीडेंट में धमनी निवासी संतराम कुशवाहा की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद मृतक के परिजन उसे अस्पताल ला रहे थे लेकिन अस्पताल में लाश उठाने के लिए एक स्ट्रेचर तक नहीं मिला।
प्रशासन द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर अक्सर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि व्यक्ति के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने तक के लिए अस्पताल में स्ट्रैचर तक उपलब्ध नहीं है।प्रशासन द्वारा 108 एंबुलेंस सेवा, शव वाहन जैसी अनेक योजनाओं का हवाला दिया जाता है। लेकिन जब व्यवस्थाओं का सच्चाई से सामना होता है तो मृतक को ऑटो में भरकर ले जाना पड़ता है।
कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल के सिविल सर्जन जीएस परिहार पर वैसे ही कई प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। बीते दिनों अस्पताल में घटी घटनाओं ने स्वास्थ सुविधा पर गंभीर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग को जल्द से जल्द अस्पताल पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि लोगों को हो रही असुविधाओं में कमी लाई जा सके।