संजीव मेहरा, क्षेत्रीय अधिकारी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा हाल ही में जानकारी प्रदान की गई है कि दीपावली ऊर्जा का त्योहार है, और इस त्योहार में भारी मात्रा में पटाखों को जलाया जाता है और इनकी क्वालिटी भी पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक होती है। और इनकी आवाजों से ध्वनि स्तर भी काफी तेजी से बढ़ने लगता है जिसका पर्यावरण पर गहरा असर पड़ता है। कुछ पटाखों की आवाज़ तो 100 डेसिबल से भी कई ज्यादा की होती है।
जिसके चलते काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आगे संजीव मेहरा ने कहा की इन गतिविधियों को मेड नजर रखते हुए, ये काफी आवाश्यक हैं जाता है की इन पर नियंत्रण पा लिया जाए। और न केवल पर्यवारण इसका शिकार है बल्कि मानव अंग भी इसके दुष्प्रभाव झेलता है।
125 डीबी आई और 145 डीबी सी ध्वनि वाले पटाखों का विनिर्माण, विक्रय और उपयोग के लिए नियंत्रण बोर्ड द्वारा मनाई कर दी गई है। 23 अक्टूबर 2018 को लागू निर्देश के अनुसार रात्रि 8 बजे से लेकर कर के 10 बजे तक यानी की केवल 2 घंटे ही दीपावली पर पटाखों का इस्तेमाल किया जाएगा। और बाकी समय पटाखों का उपयोग पर प्रतिबंध है।
ग्रीन पटाखों का होगा विक्रय
आगे निर्देश देते हुए कहा गया की इस वर्ष केवल उन्नत और ग्रीन पटाखों का ही विक्रय किया जाएगा। और प्रतिबंध पटाखों का विक्रय न हो इसके परिपालन के चलते संबंधित क्षेत्र की पुलिस प्रशासन के अधिकारी, स्टेशन हाउस ऑफिसर व्यक्तिगत रूप से इनका दौरा करने जाएंगे।