एसईसीएल हसदेव के उप क्षेत्र कुरजा के द्वारा कालरी खदान विस्तार के लिए 2014 में कुछ किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी। भूमि अधिग्रहण के बाद पुनर्वास नीति के तहत इन किसानों को मुआवजा, आवास और रोजगार दिया जाना था। लेकिन अधिग्रहण के 7 साल बीत जाने के बाद भी अब तक इन किसानों को रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया है। यहां तक कि अधिग्रहण के 4 साल बाद 2018 में इन्हें मुआवजा दिया गया गया था।
इस संबंध में किसानों ने कई बार शिकायतें दर्ज कराई लेकिन कोई कार्यवाही ना हो सकी। 11 अगस्त को फिर से किसानों ने अनूपपुर के कलेक्टर के पास शिकायत पत्र भेजा और जल्द से जल्द कार्यवाही की मांग की लेकिन 2 महीने बीत जाने के बाद भी किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। 5 अक्टूबर को एक बार फिर किसानों ने कलेक्टर ऑफिस पहुंचकर अपनी शिकायतें दोहराईं।
जानकारी के अनुसार कोयला उत्पादन के लिए एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा कुछ इलाके अधिग्रहित किए गए थे। इनमें से कुरजा में 103 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हुआ था। जिसमें चार गांव के किसानों की जमीन भी प्रबंधन द्वारा अधिगृहीत कर ली गई थी। प्रबंधन ने पहले तो मुआवजा देने में ही 4 साल का समय लगा दिया और 7 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक रोजगार नहीं उपलब्ध कराया है।
कलेक्टर ऑफिस ने 1 सप्ताह के अंदर प्रबंधन को इस विषय में प्रतिवेदन सौंपने का आदेश दिया था लेकिन प्रबंधन द्वारा 2 महीने बीत जाने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया है। प्रभावित किसान विनय शुक्ला ने बताया कि इस विषय में किसान संघर्ष समिति द्वारा विभिन्न कार्यालयों में कई बार शिकायतें भेजी गई लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है। किसानों की जमीन चले जाने से वे खेती करने से भी वंचित हो गए हैं और अब उनके पास रोजगार का दूसरा साधन भी नहीं है।
किसान संघर्ष समिति का कहना है कि अगर जल्द से जल्द इन किसानों को रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया तो दशहरा पर्व के बाद वे आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। इस पूरे विषय पर अनूपपुर कलेक्टर सोनिया मीणा का कहना है कि शिकायत पर गौर करते हुए एसईसीएल प्रबंधन को पत्र लिखा गया है और जल्द से जल्द उन्हें एक्शन लेने के आदेश भी दिए गए हैं। लेकिन दिन पर दिन बीते जा रहे हैं और अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। एसईसीएल प्रबंधन को जल्द से जल्द इन किसानों समस्याओं को हल करना चाहिए।