यूं तो अनूपपुर व शहडोल में हर जगह स्वास्थ्य सेवाएं ठीक नहीं हैं लेकिन जिलों के सीमावर्ती आदिवासी बाहुल्य इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। बीते दिन अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद के पड़री गांव में रहने वाली शांति बाई बैगा और लालीबाई बैगा अपने अपने बच्चों का इलाज कराने के लिए 20 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचीं।
बेम्हौरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचकर उन्हें पता चला कि अस्पताल में डॉक्टर ही नहीं हैं। उस समय वहां उपस्थित नर्स ने बच्चे को इंजेक्शन लगा कर कुछ दवाएं दीं और इलाज के नाम की खानापूर्ति कर दी गई।
लाली बाई के पति सुखलाल बैगा ने बताया कि पिछले 4 महीनों से उनके बच्चे के शरीर व सिर में अपने आप घाव हो जाते हैं। इसी का इलाज कराने वे 20 किलोमीटर पैदल चलकर बेम्हौरी स्वास्थ्य केंद्र आए थे। उन्हें जानकारी दी गई थी कि बैम्हौरी के अस्पताल में नियमित रूप से डॉक्टर बैठते हैं लेकिन अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं था।
हाल यह है कि पिछले 4 साल से यहां रंजीत सिंह नाम के डॉक्टर पदस्थ हैं लेकिन आज तक गांव में उन्हें किसी ने देखा तक नहीं है। पिछले दिनों संविदा नियुक्ति के तौर पर डॉ आशिक को यहां सप्ताह में 3 दिन के लिए अटैच किया गया था लेकिन बाद में उनका भी तबादला कर दिया गया। वर्तमान स्थिति यह है कि अस्पताल में एक भी डॉक्टर नहीं है।
बच्चे का इलाज करवाने आए परिवार ने बताया कि वह सुबह 5 बजे अपने घर से निकले थे और बेम्हौरी तक पहुंचते-पहुंचते उन्हें 10 बज गए। वहां से फिर पैदल चलकर गांव पहुंचने में उन्हें शाम हो गई। जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का ऐसा हाल है कि लोगों को 20 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचना पड़ता है इसके बावजूद भी इलाज नहीं होता।
बेम्हौरी के इस अस्पताल पर आसपास के 50 से भी ज्यादा गांव निर्भर हैं। यहां के सभी गांव आदिवासी बाहुल्य हैं जो इलाज के लिए बम्होरी अस्पताल आते हैं। कहीं कहीं तो स्थिति इतनी खराब है कि गांव तक पहुंचने के लिए सड़कों का निर्माण भी नहीं किया गया है। गंभीर स्थिति में मरीज को खाट पर लिटा कर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।
अनूपपुर के सीएमएचओ डॉक्टर एससी राय ने स्थिति पर पर्दा डालने का नाकाम प्रयास किया और अपने वक्तव्य के दौरान वह डॉक्टर का बचाव करते रहे। बेम्हौरी के अस्पताल से लगातार अव्यवस्था और गड़बड़ियों के मामले सामने आ रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। जिले के सीमावर्ती इलाके में स्वास्थ सुविधाओं में जल्द से जल्द सुधार करने की आवश्यकता है।