सतना की पांडे शिक्षा समिति पर पांचवे वेतनमान के एरियर्स के रूप में 8 करोड़ 30 लाख रुपए के फर्जी भुगतान करने का आरोप लगाया गया है। यह समिति आदिवासी जाति कल्याण विभाग से प्राप्त अनुदान पर चलाई जाती है। जानकारी है कि समिति ने एरियर्स की इतनी भारी रकम कर्मचारियों के खाते में न डाल कर समिति के दो अलग-अलग खातों में जमा करवा दी।
ऐसा आरोप है कि समिति के इस फर्जीवाड़े में जिला कोषालय ने भी उनकी मदद की। इतना ही नहीं बल्कि समिति द्वारा संचालित अन्य संस्थाओं में भी ऐसे रिश्तेदारों और संबंधियों के नाम लाखों रुपए का भुगतान किया गया है जो उन संस्थाओं में कार्यरत ही नहीं है बल्कि विदेशों में या दूसरे स्थानों में रहते हैं। जानकारी है कि इस संस्था में काम करने वाले कर्मचारियों को उनका नियत एरियस भुगतान नहीं किया गया है बल्कि अपने संबंधियों के नाम भुगतान के रूप में भारी-भरकम राशि दे दी गई है।
उदाहरण के लिए इस संस्था में 1995 से कार्यरत आदिवासी महिला श्रीमती नानबाई पठारी को केवल 27406 रुपए का एरियर्स भुगतान मिला है जबकि संस्था के व्यवस्थापक की कथित रिश्तेदार श्रीमती भारती पांडे को 3,78,759 रुपए का भुगतान कर दिया गया। इसी तरह के अन्य नाम भी सामने आए हैं जिन्हें बहुत भारी मात्रा में भुगतान किया गया है।
आदिवासी बच्चों की शिक्षा में लगने वाला पैसा इस शिक्षा समिति द्वारा अपने संबंधी और रिश्तेदारों को बांटा जा रहा है और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आरोप यहां तक लगाया जा रहा है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में प्रशासन के कई अधिकारी से लेकर भोपाल स्तर तक के कई बाबू और अधिकारी भी शामिल है।
गड़बड़ी का यह सिलसिला यहीं पर नहीं रुकता बल्कि खबरें यहां तक सामने आई है कि कई स्थानों में समिति ने केवल कागजी स्कूल खोल रखे हैं जबकि जमीनी स्तर पर उनका आज तक संचालन शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे स्कूलों के नाम पर आने वाली राशि का भी समिति द्वारा गबन किया जा रहा है।
इस पूरे कथित फर्जीवाड़े पर शहडोल जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग के तत्कालीन सहायक आयुक्त एमएम अंसारी ने जांच की बात कही है और अन्य अधिकारियों ने भी कुछ ऐसे ही प्रतिक्रिया दी है। प्रशासन द्वारा इस विषय पर किस तरह से जांच और कार्यवाही की जाती है यह देखने की बात है।