सामुदायिक स्वास्थ केंद्र की हालत अब इतनी बेकार हो गई है कि स्वास्थ केंद्र में अब तक अच्छे दिनों का कोई ठिकाना नही है। वर्षों से से व्याप्त भारेशाही को रोकने तो दूर की बात, मुख्यालय में बैठे अधिकारियों ने एक बार देखने तक का भी प्रयास नही किया। इस नवागत जिलाधीश से नागरिकों की कई ज्यादा उम्मीदें हैं, इसका कारण है कलेक्टर द्वारा दिया गया संवेदनशीलता का परिचय, हालत सुधरने का नाम ही नही ले रहे।
मरीजों को अपनी परेशानी डॉक्टर से बयां करने के लिए घंटो बड़ी बड़ी लाइनों में गुज़ारना पड़ता है। और यही नही बल्कि धनपुरी पोलिस भी मुलजिम का मेडीकल चेकअप के लिए घंटो डॉक्टर के इंतज़ार करते हैं। अब पुलिस वाले भी इन हालातों से परेशान हो गए है।
अब तक प्रशासन का काम इस ओर बस इतना रहा है कि, नागरिकों को खोखले आश्वासन दिलाना क्यूंकि इसके अलावा नागरिकों को आज तक अधिक कुछ नही प्राप्त हुआ है।
कहने को तो प्रशासन ने सुविधाओं के नाम पर एक डिस्पेंसरी प्रदान की है, लेकिन 6 डॉक्टरों की स्वीकृति वाले इस अस्पताल में केवल एक डॉक्टर पदस्थ है, वो भी अपना सभी काम दुपहर को निपटा के आते हैं, करीब 1 – 2 बजे।
जब शासकीय सामुदायक स्वास्थ केंद्र, 20 बिस्तर वाले सुविधा हॉस्पिटल की सुविधा दो दशक पहले प्राप्त हुई, धनपुरी में रह रहे लोगों को काफी ज्यादा खुशी हुई और यह आश्वासन जताया जा रहा था कि लोगों का समय पर इलाज हो सकेगा, लेकिन वास्तव में इसकी हालत और कई ज्यादा बत्तर हो चली है।
ऐसा नही की नागरिकों द्वारा कोई शिकायत इसके चलते नही हुई है, बल्कि प्रशासन का ध्यान इस और आकर्षित करने के लिए कई अनशन हुए, कई चके जाम हुए लेकिन फिर भी प्रयास असफल रहे। प्रशासन हालातों को सुधारने में नाकाम साबित होती नजर आ रही है।
जहां 6 डॉक्टरों को पद स्वीकृत हैं वहीं एक ही की मौजूदगी अस्पताल में देखी जाती है। यदि बात स्त्री विशेषज्ञ की करें तो इनकी नियुक्ति तो कई वर्षों से नही हुई है। मरीजों का कहना है कि डॉक्टर अस्पताल में डेढ़ दो बजे पहुंचते हैं, जिस कारण मरीज इंतजार में भूखे प्यासे इनका इंतजार करता रहता है। मरीजों की संख्या ज्यादा होने पर प्रशन यह उठता है की अब इसमें से किनका उपचार होगा और कितनों को ऐसे ही लौटना पड़ेगा?
अब ऐसी समस्या के कारण सुविधा कम और दुविधा ज़्यादा ज्यादा हो चली है। और स्त्री रोग डॉक्टर न होने की वजह से महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिस कारण वश महिलाएं शासकीय सुविधाओं को छोड़ निजी क्लीनिकों में अधिक पैसे देकर के इलाज कराने पर मजबूर हैं।
इसके चलते बीएमओ बुढार जिला शहडोल का कहना है कि मनमानी से जुड़ी शिकायत प्राप्त हुई है, निर्देश दिया जा चुके हैं लेकिन इनका पालन नही हो पाया है, जिसके चलते उच्च अधिकरियों से इसकी शिकायत दर्ज की जाएगी।