एक ऐसा हादसा जिसने हर किसी को झकझोर के रख दिया है। एक हादसा जो हाल ही में चंदिया में एक बस के साथ हुआ पर अच्छी बात यह है की बस खाक होने से पहले पहले यात्रिजन अग्नि पे विलुप्त होने से बच गए। इन हादसों को रोका जा सकता था यदि प्रशासन पिछले कई सालों से सुस्त न पड़ी होती तो। इसके जिम्मेदार परिवहन और यातायात के साथ साथ पुलिस विभाग की भी है।
न ही समय पे बसों की जांच होती है और नाही हाईवे पर ओवरलोड बसों की जांच पड़ताल करने के लिए कोई मौजूद होता है। कुछ माह पूर्व सीधी बस हादसे के बाद मंत्री के आदेशों के बाद जांच अभियान चलाया गया था और तबसे से लेकर अब तक परिवहन विभाग सिर्फ और सिर्फ दफ्तर और फाइलों में उलझ के रह गया है। शराबी वाहनों की जांच यातायात पुलिस द्वारा नही की गई जिस कारणवश कई हादसों का शिकार लोग हुए हैं।
बसें चलने वाली संख्या 50 के करीब करीब देखी जाती है, जो की उमरिया जिले में अन्य जिलों के लिए निकलती है। इनमे से ज्यादातर शहडोल के ऑपरेटर हैं। यात्रियों के अनुसार इनकी जांच न होने पर ये बेखौफ हो गए हैं। इमरजेंसी सुविधाओं को भी नजर अंदाज किया जा रहा है।
इसके चलते यातायात पुलिस द्वारा रविवार को जांच अभियान चलाया गया, जिसके चलते कई लोगों पर चालानी कारवाई की गई। यह जांच केवल दो घंटे चली लेकिन 50 से अधिक वाहनों को इस दौरान रोका गया। लोगों को यातायात के नियमो का पालन करने की सलाह दी गई। बताया जा रहा है की 37 लोगों से 10,500 रुपे शमन के तौर पर प्राप्त किए गए है।