राज्य प्रशासन द्वारा हायर सेकेंडरी से लेकर प्राथमिक स्कूल तक खोल दिए गए हैं लेकिन जिले के अनेक स्कूल ऐसे हैं जिनमें शिक्षकों की कमी देखी जा रही है। जिले के 100 से भी ज्यादा स्कूलों में शिक्षक नहीं है। इनमें से 7 मिडिल स्कूल, 35 प्राथमिक स्कूल, 24 हाई स्कूल और एक हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल है। इसके अलावा जिले में 200 से भी ज्यादा ऐसे स्कूल हैं जहां केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है। इन स्कूलों को अतिथि शिक्षकों के माध्यम से चलाया जा रहा है जबकि दूसरे स्थानों से स्थानांतरित होकर आए 61 शिक्षकों को अभी तक अलाट नहीं किया गया है।
करोना काल में डेढ़ साल के बाद जब स्कूल खोले जा रहे थे तो यह लग रहा था कि इतने लंबे समय में स्कूल संबंधित सारी समस्याओं को हल कर लिया गया होगा। लेकिन शिक्षकों की कमी और बाकी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
पूरे जिले में 12वीं से पहली कक्षा तक कुल दो लाख से भी ज्यादा विद्यार्थी रजिस्टर्ड हैं। लेकिन छात्र-छात्राओं के मुकाबले शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जा रही है। शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की कमी के बाद भी शिक्षकों को स्कूल से दूसरे स्कूल में अटैच किया जा रहा है। यहां तक कि कई अतिथि शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी भी देखने को मिल रही है।
कई इलाकों से यही शिकायत आई है कि ट्रांसफर होकर आए शिक्षकों को स्कूल में अलाट करने की जगह कार्यालयों के काम के लिए लगाया जा रहा है। वहीं जिले के 37 शिक्षकों का ट्रांसफर जिले के बाहर कर दिया गया है। यह शिक्षक जिन स्कूलों में कार्यरत थे अब वहां शिक्षकों की कमी हो गई है। शिक्षा विभाग की इस गड़बड़ी के पूरे मामले में सहायक आयुक्त आर एस धुर्वे का कहना है कि इस सप्ताह के अंत तक सभी शिक्षकों को स्कूल अलॉट कर दिया जाएगा। शिक्षा व्यवस्था में हो रही अनियमितताओं को जल्द से जल्द सुधारा जाना चाहिए।