लगातार दो हफ्तों से छत्तीसगढ़ के जंगलों से आए हुए 42 हाथियों के दल का आतंक जारी है। हाथियों ने कोतमा के टाकी जंगलों में अपना डेरा जमा लिया है। हाथी दिन भर जंगलों में रहते हैं और शाम होते ही गांव की सीमा में घुसकर फसलों को बर्बाद करते हैं और मकानों की दीवार को तोड़कर वहां रखें सामान का नुकसान करते हैं। जंगल से सटे गांव में रहने वाले लोग दूसरे स्थानों पर आश्रय लेने को मजबूर हो रहे हैं।
वन विभाग और प्रशासन के कर्मचारी भी पड़ोसी राज्य से आए इन हाथियों से खासे परेशान हैं और इन को नियंत्रित कर वापस जंगलों में भेजने की कवायद में लगे हुए हैं। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ के जंगलों से 27 सितंबर की शाम को हाथियों का यह दल मध्य प्रदेश के कोतमा के जंगलों में दाखिल हुआ था और तब से लेकर अब तक आए दिन हाथियों द्वारा लोगों को परेशान किया जा रहा है।
जंगल से सटे ग्राम टाकी मलगा, पतेराटोला, सेतिनचुआ, बैगानटोला, पावटोला जैसे गांव के लोग प्रमुख रूप से हाथियों के आतंक का शिकार हैं। हाथियों द्वारा कई किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया गया है और कई घरों की दीवारें तोड़ डाली गई थी गई हैं।
हाथियों की निगरानी के लिए कोतमा रेंज के प्रवेश सिंह भदौरिया सहित बिजुरी, जैतहरी और अनूपपुर के वन कर्मचारियों का दल लगातार गश्त कर रहा है लेकिन अभी भी स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जा सका है। गांव से लगातार लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया जा रहा है। वन विभाग द्वारा जल्द से जल्द हाथियों की मॉनिटरिंग कर इन्हें जंगलों में भेजने का प्रबंध किया जाना चाहिए और लोगों को हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाना चाहिए।