जिले में इस साल पर्याप्त मात्रा में बारिश दर्ज की गई है, जिसके कारण जिले के सभी तालाब और प्राकृतिक जल स्रोत लबालब भर गए हैं। इन्हीं तालाबों के पानी से रबी की फसलों की सिंचाई की जाएगी। लेकिन लापरवाही का यहां ऐसा नजारा देखने में आ रहा है कि लोगों द्वारा निजी स्वार्थ के लिए तालाबों की मेढ़ को तोड़कर उनका पानी बहाया जा रहा है और पानी की बर्बादी हो रही है।
जिला मुख्यालय के कुछ तालाबों में पानी अपनी सतह स्तर तक पहुंच गया था, इस कारण आसपास रहने वाले लोगों ने मेढ़ तोड़कर बहुत सारा पानी बहा दिया। अभी भी तालाब की मेढ़ टूटी हुई है और पानी बर्बाद हो रहा है। जिला मुख्यालय में पांडव नगर स्थित तालाब की मेढ़ तोड़कर पानी बहाये जाने की यह कोई इकलौती घटना नहीं है बल्कि जिला मुख्यालय के पौनांग तलाब, मोहन राम मंदिर तालाब, सिटी टैंक, पॉलिटेक्निकल कॉलेज के आसपास स्थित तालाब का भी यही हाल है।
प्रशासन की अनदेखी से लगातार इन तालाबों का प्रदूषण हो रहा है और इन पर अतिक्रमण करके इमारतें बनाई जा रही हैं। जिला मुख्यालय के पांडव नगर तालाब में इतना पानी था कि घाट पर बने शिव मंदिर की सीढ़ियां तक पानी भर गया था, लेकिन लोगों की इस हरकत से तलाब का बहुत सारा पानी बर्बाद जा चुका है। प्राकृतिक जल स्रोत और तालाब जहां प्रदूषित हो रहे हैं वहीं पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। लोग तालाबों को पाटकर मकान बनाते जा रहे हैं। यहां तक कि घरों से निकला हुआ कचरा भी लोग तालाबों में फेंकते हैं और पानी को गंदा करते हैं।
प्रशासन को ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाने की आवश्यकता है। इसी कड़ी में शहडोल संभाग के कमिश्नर राजीव शर्मा द्वारा भी जिला पंचायतों व अधिकारियों को तालाबों के संरक्षण और वर्षा जल संरक्षण की बात कही गई है। आयुक्त का मानना है कि संभाग के सभी स्टाप डैम और चेक डैम में पानी संरक्षण किया जाना चाहिए ताकि आने वाले समय में पानी की कमी से जूझ आ जा सके। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से 25 अक्टूबर तक प्रतिवेदन सौंपने के आदेश भी दिए गए हैं। प्रशासन को तलाबों और प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।