स्वच्छ भारत अभियान के तहत जिले के सभी पांच ब्लॉकों की 156 ग्राम पंचायतों में कचरा रिक्शा गाड़ी खरीदने का फैसला लिया गया था। जानकारी के अनुसार जैम पोर्टल पर आईडी बनाकर पंचायतों को सीधे कचरा रिक्शा खरीदने का अधिकार दिया गया था। सरकार द्वारा 35 हजार रुपए प्रति रिक्शा के हिसाब से खरीद निर्धारित की गई थी। लेकिन आरोप है कि जिला पंचायत के अफसरों द्वारा ग्राम पंचायतों के अधिकार पर डाका डाला जा रहा है और कमीशन खोरी के चलते जान पहचान के रिक्शा सप्लाई करने वालों को रिक्शा खरीद का ठेका दिया जा रहा है।
जानकारी है कि पंचायतों के सचिवों को बुलाकर जैम पोर्टल एवं आईडी पासवर्ड बनाकर जिला पंचायत के अधिकारी खुद ही कचरा रिक्शा का ऑर्डर दे देते हैं। जिला पंचायत के अधिकारियों द्वारा रिक्शा के तीन सप्लायर चुने गए हैं जो अधिकारियों को कथित तौर पर 40% कमीशन देते हैं।
यहां तक कि कई ग्राम पंचायतों को इस बात की जानकारी भी नहीं है। अधिकारियों द्वारा उन्हें यही बताया जाता है कि उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है और ट्रेनिंग के नाम और यह घोटाला किया जा रहा है। ग्राम पंचायतों के सचिवों की आईडी और पासवर्ड से रिक्शे की बुकिंग कर दी जाती है और पंचायतों को मजबूरन भुगतान कर वह रिक्शा खरीदना पड़ता है।
जिले की 156 ग्राम पंचायतों में पचपन लाख की कचरा गाड़ी खरीदी जानी है। जिला पंचायतों के अधिकारियों और कचरा गाड़ी सप्लायरों की इस मिलीभगत का यदि भंडाफोड़ किया जाए तो लाखों का घोटाला सामने आ सकता है। बताया जा रहा है कि सप्लायर द्वारा 40% कमीशन अधिकारियों को दिया जा रहा है। जब इतने बड़ी कमीशन अधिकारियों को मिल रही हैं तो सप्लाई किए जाने वाले रिक्शा वाहन की क्वालिटी कैसी होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
इस बात की जांच करने वाला कोई नहीं है कि कचरा रिक्शा में किस क्वालिटी के समान का इस्तेमाल किया गया है और वह कितने समय तक चलाया जा सकता है। सप्लायर द्वारा सस्ता माल ग्राम पंचायतों को सौंपा जा रहा है और उसका कमीशन जिला पंचायत के अधिकारी खा रहे हैं। जिला प्रशासन को जल्द से जल्द इस मामले पर जांच कमेटी गठित करनी चाहिए और मामले की निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए।