बहुत लंबे समय से विंध्य प्रदेश के बनाए जाने की मांग उठाई जाती रही है। लेकिन अक्सर कुछ समय बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। शहडोल में एक बार फिर से विंध्य प्रदेश की मांग उठने लगी है। इसी को लेकर बघेलखंड विंध्य आदर्श समाज शहडोल की तरफ से शुभदीप खरे जी ने वोकल न्यूज़ शहडोल से बात की और विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर अपना मत रखा।
उन्होंने कहा कि 2017 से बघेलखंड विंध्य आदर्श समाज द्वारा लगातार विंध्य प्रदेश की मांग की जा रही है। साथ ही उन्होंने शहडोल संभाग में विधानसभा सीटों को लेकर हुए डीलिमिटेशन पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि शहडोल संभाग के भी अधिकतर इलाके आदिवासी बाहुल्य है और मध्य प्रदेश में रहकर उनका पूरी तरह विकास नहीं हो पा रहा है।
2001 में मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के साथ विंध्य प्रदेश के विभाजन की बात उठी थी लेकिन छत्तीसगढ़ की स्थापना स्वीकार कर चली गई और विंध्य प्रदेश को नकार दिया गया। जरूरत है कि अब विंध्य प्रदेश को भी एक राज्य के तौर पर मान्यता मिलनी चाहिए। ताकि इस पठारी इलाके में भी विकास की रफ्तार बढ़ाई जा सके।
श्री खरे का कहना है कि राज्यों के पहले पुनर्गठन में भाषा को आधार बनाया गया था जबकि 2001 में पुनर्गठित हुए राज्यों में भी जनजातीय आबादी को आधार बनाया गया था। लेकिन अब विकास के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया जाना चाहिए और इसी सिलसिले में सबसे पहले विंध्य प्रदेश की स्थापना की जानी चाहिए।