जिले के कलेक्टर ऑफिस के निर्देश पर खाद्य और राजस्व विभाग की टीम ने शहर की 3 शासकीय राशन दुकानों का अचानक दौरा किया। अपनी जांच में टीम ने दुकान संबंधित स्टॉक रजिस्टर, वितरण रजिस्टर व मौके पर मौजूद सभी आवश्यक दस्तावेज खंगाले साथ ही साथ लाभार्थियों को बुलाकर आवंटन और वितरण संबंधी जानकारी ली और उनकी शिकायतें सुनी। टीम ने खाद्य अधिकारी कमलेश टांडेकर की अगुवाई में यह दौरा किया।
जांच टीम ने पहली दृष्टि में राशन दुकानों में कई कमियां पाई। कहीं लाभार्थियों को कम अनाज वितरण किया जा रहा था, तो कहीं निशुल्क राशन वितरित नहीं किया जा रहा था। वहीं राशन को वितरण केंद्र की जगह गोदाम में स्टोर करके रखा गया था।
इतना ही नहीं बल्कि शासकीय दुकान संचालकों द्वारा आवश्यक दस्तावेज भी सही तरीके से नहीं रखे गए थे। टीम ने दुकानों का पंचनामा तैयार कर लिया है और आवंटन, वितरण और स्टॉक संबंधी सारी जानकारियां और दस्तावेज के आंकड़े का मिलान किया जा रहा है।
शहर के वार्ड क्रमांक 17, वार्ड क्रमांक 24/25 और वार्ड क्रमांक 29/30 की शासकीय दुकानों का जायजा लिया। तीनों दुकानों में अलग-अलग तरह की गड़बड़ियां पाई गईं। वार्ड 17 की दुकान में जहां आवश्यक दस्तावेज मौजूद नहीं थे वही लाभार्थियों से बात करना से पता चला कि दुकान संचालकों द्वारा पैसा लेकर राशन दिया जा रहा था। वार्ड क्रमांक 25 की राशन दुकान में भी राशन की बोरियों का वजन किया गया और वजन करने पर स्टॉक कम पाया गया है। यहां पर भी लोगों ने दुकान संचालकों द्वारा केरोसिन और शक्कर का वितरण न किए जाने की बात कही है।
इसी तरह जब टीम वार्ड क्रमांक 29/30 का निरीक्षण करने पहुंची तो दुकान को बंद पाया जबकि उस समय राशन दुकान खुली होनी चाहिए थी। जब टीम ने दुकान के अंदर निरीक्षण किया तो वहां केवल गेहूं का स्टॉक ही मिला। जांच टीम ने इस शख्स की दुकान से एक भी दस्तावेज नहीं पाए। यहां के लोगों से बात करने पर यह पता चला कि कई पात्र लोगों को महीनों से राशन नहीं बांटा गया था, वहीं अनेक पात्र लोगों को केवल 60% ही राशन बांटा जा रहा था।
जांच टीम ने तीनों दुकानों का निरीक्षण करने के बाद अपर कलेक्टर को रिपोर्ट की। इस निरीक्षण पर अपर कलेक्टर ने कहा है कि दस्तावेजों और दुकान में मौजूद स्टॉक व लोगों की शिकायत सहित सभी बातों का मिलान किया जा रहा है। यदि गड़बड़ी पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
शहर में ऐसी अनेक शासकीय राशन दुकानें हैं जहां पर आए दिन गड़बड़ियां सामने आती रहती हैं। कहीं खाद्यान्न के ना होने, वितरण में गड़बड़ी, कम राशन दिए जाने, पात्र लोगों को राशन ना दिए जाने व शासकीय दुकानदारों द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलती रहती हैं।
अनेक स्थानों से तो यह भी खबर सामने आती है कि खाद्यान्न आवंटन के इस पूरे खेल में दुकान संचालकों और अधिकारियों की मिलीभगत भी रहती है और सभी मिलकर पात्र लोगों को बांटे जाने वाले अनाज का गबन करते हैं। जिला प्रशासन को जिले की सभी शासकीय राशन दुकानों का निरीक्षण करना चाहिए और जांच में पाई गई गड़बड़ियों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए।