जैसे की पहली भी खबर आयी थी कि बांधवगढ़ के बाद अब शहडोल के बाढ़सागर डैम के किनारे जंगली हाथियों के झुण्ड ने किसानों की फसलों को भारी नुक्सान पहुंचाया है, जिसके बाद अब वन विभाग ने राजस्व अधिकारियों को पत्र लिखकर किसानों को फसल हानि के केस में तुरंत कार्यवाही और कंपनसेशन की राशि सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ देने की भी बात कही है।
पत्र में कहा गया है कि पिछले दो दिनों से हाथियों का दल जंगल जोन पश्चिम ब्यौहारी के गांव पपोढ़, जमुनिहा और छतवा होते हुए जंगल जोन गोदावल के पथरहटा, व ब्यौहारी के खैरा, अल्हरा, खरहरा, मैर, दाल, शहरगढ़, चचाई आदि वन जोनों के क्षेत्रों में दिन के समय घुसकर, रात में गावों में आकर फसलों और खेतों को भारी नुक्सान पहुंचाते है। इस कारण से यहां के किसानों में दिन पर दिन आक्रोश बढ़ता चला जा रहा है। वह सभी घटना के बाद एक जगह इक्कठे होकर भीड़ जमा कर देते है जिसे वन विभाग द्वारा कंट्रोल करना बेहद ही मुश्किल हो जाता है।
हालांकि वन विभाग चौबीसों घंटे हाथियों के हर एक मूवमेंट को मॉनिटर कर रहा है किंतु किसी भी पॉसिबल दुर्घटना को रोकने व भीड़ को नियंत्रित करने में उसको पुलिस विभाग के बल व सहयोग की आवश्यकता हो रही है।
वन विभाग ने बताया कि हाथियों की मॉनिटरिंग के लिए उन्होंने तीन दल बनाये है। इनमें लगभग 31 दल प्रभारी और दल सहायक मौजूद है। जिसमें उपवनमंडल स्तर पर हाथियों की सुरक्षा और प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए तुरंत मॉनिटर दल की ड्यूटी लगाई गई है। यह दल सुनिश्चित करता है कि कही हाथियों द्वारा किसी व्यक्ति को कोई नुक्सान तो नहीं पहुंचाया जा रहा है। साथ ही ये दल प्रभावित क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा के उपायों से भी अवगत कराता है।
किंतु इस सबके बावजूद वन विभाग को किसानों के गुस्से और आक्रोश का शिकार होना पड़ रहा है। और किसी भी हिंसा की स्थिति के पैदा होने से पहले वह पुलिस विभाग और राजस्व अधिकारियों की मदद चाहता है। क्योंकि किसानों की काफी फसले इन हाथियों के समूह द्वारा बर्बाद हो चुकी है और उन्हें बहुत भारी नुक्सान झेलना पड़ा है। इसके लिए अब बस प्रशासन ही उनकी सहायता कर सकती है।