प्रदेश के बाणसागर डैम से बिजली उत्पादन सिंचाई और मछली पालन सहित अनेक कार्य संचालित होते हैं केवल मछली उत्पादन की ही बात करें तो प्रतिवर्ष यहां से लगभग 1100 टन मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन जानकारी है कि मछुआरों की कमी के कारण तय लक्ष्य के अनुसार मछली उत्पादन नहीं हो पा रहा है यहां तय लक्ष्य से आधे से भी कम मछलियां निकाली जा रही हैं।
बाणसागर बांध में 26 प्राथमिक मछुआ सहकारी समितियां काम कर रही हैं जिसमें से शहडोल जिले में 9 समितियों के माध्यम से मछली उत्पादन किया जा रहा है। बाकी समितियाँ कटनी उमरिया और सतना जिले से संबंधित है। इन चारों जिलों को मिलाकर लगभग 1500 नाव के साथ 3000 मछुआरे एक साथ यहां मछली उत्पादन करने की क्षमता रखते हैं लेकिन फिलहाल समितियों के पास केवल 700 से 800 की संख्या में ही मछुआरे उपलब्ध हैं मछुआरों की कमी के कारण मछली उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है और तय लक्ष्य से आधे से भी कम मात्रा में मुख्य मछली उत्पादन हो पा रहा है।
मछली उत्पादन के लिए फिलहाल मछुआ सहकारी समितियों के पास केवल 21% मछुआरे ही हैं और मछुआरों की इतनी कम संख्या से यहां वर्ष में केवल 450 से 500 टन मछली उत्पादन ही हो पा रहा है। इसी वर्ष की बात करें तो अभी तक लगभग 326 टन मछली उत्पादन किया गया है पिछले साल भी 490 टन ही मछली निकाली गई थी।
क्षेत्रीय प्रबंधक आशीष उपाध्याय ने इस समस्या को लेकर संभाग आयुक्त राजीव शर्मा से भी बात की है। संभागायुक्त का कहना है कि स्थिति को देखते हुए मछुआरों की तलाश की जा रही है और उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा और मछली उत्पादन बढ़ाया जाएगा।