धनपुरी वैसे तो प्रदेश की सबसे संपन्न नगर पालिकाओं में गिनी जाती है लेकिन यहां पर भी कई ऐसे आदिवासी बाहुल्य वार्ड है जहां पर आदिवासी और जनजाति लोग अपने टूटे-फूटे और खपरैल मकानों में जीवन बिताने को मजबूर हैं।
पीएम आवास योजना के तहत 2022 तक सभी को पक्का मकान दिलाने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन इस योजना को पूरे होने में केवल 1 वर्ष बचे हैं और अभी भी देश के अनेकों पात्र लोग ऐसे हैं जो अपने पक्के मकान की आस में बैठे हुए हैं।
अधिकारियों द्वारा इन पात्र लोगों के आवेदन बार-बार लौटाए जा रहे हैं। दस्तावेजों के सुसंगठित न होने, उपयुक्त दस्तावेज ना लगाए जाने, कोरोना लॉकडाउन आदि का बहाना बनाकर इन लोगों के आवेदनों को निरस्त किया जा रहा है और ये लोग कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
अफसरों द्वारा की जा रही देरी की एक मुख्य वजह घूसखोरी भी है। अफसर जानबूझकर आवास योजना के आवेदनों को निरस्त करते हैं, ताकि आवेदक अपना काम निकलवाने के लिए मजबूर होकर रिश्ते दें।
इतना ही नहीं कई जगह से यह भी शिकायत आई है कि लोगों को आवास योजना की दूसरी और तीसरी किश्त समय पर नहीं मिल रही है इसका नतीजा यह हुआ है कि लोगों ने अपने पुराने खपरैल वाले मकान भी तुड़वा लिए हैं और नए मकान के निर्माण के लिए प्रशासन द्वारा किस्त भी नहीं दी जा रही है। ऐसी स्थिति में अब ना तो उनके पास पुराना मकान रहा है और ना ही नया मकान बन पा रहा है।
प्रशासन को जल्द से जल्द आवेदन कर्ताओं की शिकायतों पर कार्यवाही करनी चाहिए और आवास योजना के पात्र लाभार्थियों को मकान निर्माण के लिए राशि उपलब्ध करानी चाहिए।